अन्तर
बचपन में जब हम
सूती कपड़ा पहनते थे
तब कुछ लोग
टेरीकॉट पहनते थे
बड़ा मन करता था
कि हम भी पहनें
लेकिन पिताजी कहते थे
इतना खर्च
हम कर नहीं सकते।
बड़े होकर हम
जब टेरीकॉट पहनने लगे
तब वे लोग
सूती कपड़े पहनने लगे।
सूती कपड़े महंगे हो गए
हम पहन नहीं सकते,
वजह हम अब
उतने खर्च कर नहीं सकते
सच में
जमाना बहुत बदल गया,
आखिरकार
अन्तर तो रह ही गया।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर-2023