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8 Feb 2022 · 1 min read

अधूरापन

जीवन में अधूरापन
हमेशा ही रहता है,
मिलता रहे चाहे जितना
मगर अधूरा ही लगता है।
क्यों हमें संतोष जो नहीं होते
कभी पूरा होने का आभास नहीं होता,
हमारी ख्वाहिशें हमें दलदल से
निकलने देना ही नहीं चाहतीं।
हम भी दिन रात दो दो चार में
कभी दो दो पाँच के फेर में
उलझे जकड़े फँसे रहते हैं,
अधूरेपन के मकड़जाल से
निकलना भी तो नहीं चाहते,
क्योंकि हम तो अधूरेपन को
अपनी तकदीर जो मान बैठे हैं,
अधूरेपन को अपनी नियत मान
जीते और मर जाते हैं।

Language: Hindi
173 Views
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