*हल्द्वानी का प्रसिद्ध बाबा लटूरिया आश्रम (कुंडलिया)*
ख्वाबों से निकल कर कहां जाओगे
ताप जगत के झेलकर, मुरझा हृदय-प्रसून।
अबोध प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
क्यों नहीं बदल सका मैं, यह शौक अपना
आख़िरी इश्क़, प्यालों से करने दे साकी-
***दिल बहलाने लाया हूँ***
दलित साहित्य / ओमप्रकाश वाल्मीकि और प्रह्लाद चंद्र दास की कहानी के दलित नायकों का तुलनात्मक अध्ययन // आनंद प्रवीण//Anandpravin
*** तूने क्या-क्या चुराया ***
सीखने की, ललक है, अगर आपमें,
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
प्रेमी-प्रेमिकाओं का बिछड़ना, कोई नई बात तो नहीं
Noone cares about your feelings...