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28 Sep 2023 · 1 min read

पंखा

भोर काल से संध्या तक
चलता रहता है यह पंखा
दादी मा को भावे
मंद मंद चलता पंखा
आरव, आरवी यश यशी
और आश्विक का यह प्यारा पंखा
लड़ झगड़ कर सो जाते ये
ज़ब चलता रहता इनको पंखा
अम्मा बाबू को नींद ना आवे
ज़ब ना डोळे धीरे धीरे पंखा
ज़ब चली जाये विद्युत घर की
सब ले आवे अपना हथपंखा
अब ना करो शोर कोई
चला के सो जाओ सब पंखा

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