अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
सूखा पत्ता
Dr Nisha nandini Bhartiya
जाने कहाँ से उड़ती-उड़ती चिड़िया आ बैठी
मैंने रात को जागकर देखा है
जीवन को अतीत से समझना चाहिए , लेकिन भविष्य को जीना चाहिए ❤️
बिहार–झारखंड की चुनिंदा दलित कविताएं (सम्पादक डा मुसाफ़िर बैठा & डा कर्मानन्द आर्य)
*खामोशी अब लब्ज़ चाहती है*
*प्रेम का सिखला रहा, मधु पाठ आज वसंत है(गीत)*
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
क्या अजब दौर है आजकल चल रहा
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
कोई पैग़ाम आएगा (नई ग़ज़ल) Vinit Singh Shayar