अटल खड़े देवदार ये
अटल खड़े देवदार ये
किसने मिट्टी को सहलाया?
किसने भर प्राणों में ऊर्जा
नभ तक तरु को पहुंचाया?
अनेक कठिन परिस्थितियों में
विषमता ही साध्य बनी है
अति वर्षा हिमपात लिए
विषम स्थिति आराध्य बनी है
खिसक रही चट्टानों संग
किसने तरु को हर्षाया?
किसने भर प्राणों में ऊर्जा
नभ तक तरु को पहुंचाया?
चाहे जितना ही पोषण कर लो
कितने ही उन्नत हो बीज साथ
कितनी ही अनुकूल परिस्थिति हो आत्मविश्वास बिना है खाली हाथ
किसने जीवन के दर्रों में
नव देव तरु को है उगाया?
किसने भर प्राणों में ऊर्जा
नभ तक तरु को पहुंचाया ?
तरु करके आत्मार्पण
बना महा सृजन प्रकृति का
अनेक शिलाओं की छाती पर जड़ रख कर,
छिन्न अनेक अवरोधों के प्रस्तर ,
किसने मृतप्राय चट्टानों में
जीवन दीप जलाया ?
किसने भर प्राणों में ऊर्जा
नभ तक तरु को पहुंचाया?
अटल खड़े देवदार यह
किसने मिट्टी को सहलाया?
किसने भर प्राणों में ऊर्जा
नभ तक तरु को पहुंचाया?
~माधुरी महाकाश