अगर वो हादिसा फिर से हुआ तो !!!
अगर वो हादिसा फिर से हुआ तो
मैं तेरे इश्क में फिर पड़ गया तो
कि उसका रूठना भी लाज़मी है
मना लूँगा अगर होगा ख़फ़ा तो
मिरी उलझन सुलझती जा रही है
दिखाया है तुम्ही ने रास्ता तो
यकीनन राजे-दिल मैं खोल दूंगा
दिया अपना जो उसने वास्ता तो
रुका बिलकुल नहीं वो पास आकर
मैं खुश हूँ कम-से-कम मुझसे मिला तो
चलो कुछ देर रो लें साथ मिलकर
कोई लम्हा ख़ुशी का मिल गया तो
तुझे महफूज़ कर लूँ ज़हनो-दिल में
मिला है तू कहीं फिर खो गया तो
नया रिश्ता निभाने की तलब में
अगर टूटा पुराना राबता तो
कलेजे से लगाकर रखते हम भी
हमें वो राज़ अपने सौपता तो
“नज़र” तुम ज़िन्दगी समझे हो जिसको
फ़क़त पानी का हो वो बुलबुला तो
नज़ीर नज़र