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23 Jul 2024 · 1 min read

*सुबह-सुबह गायों को दुहकर, पात्रों में दूध समाया है (राधेश्य

सुबह-सुबह गायों को दुहकर, पात्रों में दूध समाया है (राधेश्यामी छंद)
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सुबह-सुबह गायों को दुहकर, पात्रों में दूध समाया है
व्यापार कर रहे गोपालक, उनकी निर्मलतम काया है
उनके ही कारण दूध मिला, हम पुष्ट देह कर पाते हैं
घर-घर जो दूध बॉंटते हैं, हम उनको शीश झुकाते हैं

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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