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11 Nov 2024 · 1 min read

दिखावटी लिबास है

गरीब की क्या ज़िन्दगी मिटे न भूख प्यास है
छिपी हुई है असलियत दिखावटी लिबास है

यहाँ-वहाँ चमक रही कतार में लड़ी-लड़ी
जिन्हें उदास हर निगाह निहारती खड़ी-खड़ी
नज़र न आ रही कहीं कहाँ गई मिठास है
छिपी हुई है असलियत दिखावटी लिबास है

ये दीप प्रज्वलन रिवाज़ आजकल रहा नहीं
दिलों को जोड़ने का साज आजकल रहा नहीं
सनातनी परंपरा का हो रहा ह्रास है
छिपी हुई है असलियत दिखावटी लिबास है

बजारवाद का समय है मान्यता बदल गई
चलन मिठाई का हटा है चॉकलेट चल गई
मनुज विदेशी सभ्यता का हो गया यूँ दास है
छिपी हुई है असलियत दिखावटी लिबास है

प्रणाम की जगह सभी को हाय वाय भा रहा
जुआ शराब का नशा समाज पर है छा रहा
लिहाज शर्म भी बची न अब किसी के पास है
छिपी हुई है असलियत दिखावटी लिबास है

डॉ अर्चना गुप्ता
11.11.2024

Language: Hindi
Tag: गीत2
1 Like · 289 Views
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