अगणित शौर्य गाथाएं हैं
काल के कपाल पर,
माँ भारती के भाल पर,
अगणित शौर्य गाथाएं हैं!
यौवन के उबाल पर,
सौष्ठव के बबाल पर,
अगणित शौर्य गाथाएं हैं!!
सीमाओं के सवाल पर,
नारीत्व के हलाल पर
अगणित शौर्य गाथाएं हैं!!
लेखनी के दलाल पर,
माँ के कुंठित मलाल पर,
अगणित शौर्य गाथाएं हैं!!
दीवानगी की दिवाल पर,
सभ्यता की तिखाल पर,
अगणित शौर्य गाथाएं हैं!!
किस किस की कथा मैं कहूं?
किस किस की व्यथा मै सहूं?
याद मैं उनकी शीश मैं झुकाता रहूं!
याद मे उनकी दीपक मैं जलाता रहूं!!
भारत के इतिहास मे अगणित शौर्य गाथाये है !!