Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 May 2023 · 1 min read

अखंड भारत स्वप्न

न तीर से कटा है,
न तलवार से कटा है।
अपना ये देश देखो,
अपनों से ही बंटा है।।1।।

कितनो ने इसको रौंदा,
कितनो ने इसको लूट।
फिर भी ये मेरा देश,
सीना तान कर खड़ा है।।2।।

आए न जाने कितने,
कितने चले गए है।
दुनियां में मेरा भारत,
संस्कारों में बड़ा है।।3।।

थी बून्द आखिरी जो,
बची रग़ों में उनकी।
हर क़तरे से ही पूछो,
दम आखिरी तक लड़ा है।।4।।

बापू का था जो सपना,
हो भारत अखण्ड अपना।
“तरुण” उस दिशा में,
अनवरत ही चल पड़ा है।।5।।

स्वरचित कविता
द्वारा
तरुण सिंह पवार

Language: Hindi
119 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खोज करो तुम मन के अंदर
खोज करो तुम मन के अंदर
Buddha Prakash
देशभक्त मातृभक्त पितृभक्त गुरुभक्त चरित्रवान विद्वान बुद्धिम
देशभक्त मातृभक्त पितृभक्त गुरुभक्त चरित्रवान विद्वान बुद्धिम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
!! वो बचपन !!
!! वो बचपन !!
Akash Yadav
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
.........,
.........,
शेखर सिंह
आधार छन्द-
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
Chunnu Lal Gupta
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Kash hum marj ki dava ban sakte,
Sakshi Tripathi
यकीन नहीं होता
यकीन नहीं होता
Dr. Rajeev Jain
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
2954.*पूर्णिका*
2954.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रणय 9
प्रणय 9
Ankita Patel
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
gurudeenverma198
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
जीना है तो ज़माने के रंग में रंगना पड़ेगा,
_सुलेखा.
#शर्माजीकेशब्द
#शर्माजीकेशब्द
pravin sharma
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
Praveen Sain
अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
विजय कुमार अग्रवाल
*अविश्वसनीय*
*अविश्वसनीय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम मेरी
तुम मेरी
Dr fauzia Naseem shad
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
पूर्वार्थ
व्याकुल तू प्रिये
व्याकुल तू प्रिये
Dr.Pratibha Prakash
*नारी तुम गृह स्वामिनी, तुम जीवन-आधार (कुंडलिया)*
*नारी तुम गृह स्वामिनी, तुम जीवन-आधार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
■ हुडक्चुल्लू ..
■ हुडक्चुल्लू ..
*Author प्रणय प्रभात*
माँ का निश्छल प्यार
माँ का निश्छल प्यार
Soni Gupta
मई दिवस
मई दिवस
Neeraj Agarwal
*मन के मीत किधर है*
*मन के मीत किधर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...