अंधरे
रौशनी ने पूछा अंधेरे से
हम क्यों इस तरह मिलते हैं
तुम मुझमें होते हो समाहित
और मैं हो जाती हूँ उत्साहित ।
तुम्हारे वजूद से ही मैं यहाँ हूँ
तुम्हारी तारीफ़ में और क्या कहूँ ।
लोग समझते हैं हम दोनो जुदा है
उन्हे क्या पता हम एक दूसरे पे फिदा है ।
मेरे वजूद के लिए तुम्हारा होना ज़रूरी है ।
सदियों से हमारी रही यही मज़बूरी है ।
-अजय प्रसाद