अंतिम सत्य
यह जीवन तेरे कर्मों का, अंधेरा और उजियारा।
बुरे कर्म से बनता ये दुर्गम,सत्कर्म बनाएं इसको प्यारा।।
कल के बारे में सोच रहा जो,पाता वो अंधियारा।
आज अभी में जीने वाले का,जीवन बहती धारा।।
सुख दुःख दो पहिये हैं जिन पर जीवन चलते जाना है।
इन पहियों को जीवन चक्र में अपना रोल निभाना है।।
सुख से वो जीते है जिन्होंने जीवन को पहचाना है।
वरना जीवन बन जाता सबके दुक्खों का खजाना है।।
अटल सत्य है अंत सभी का अंत तो एक दिन आना है।
जीवित रहने तक इस जीवन का लुत्फ ही लुत्फ उठाना है।।
सत्य को तू पहचान सत्य ही सबको जीवन में अपनाना है।
शिव ही अंतिम सत्य अंत में सबको शिव में ही तो समाना है।।
कहे विजय बिजनौरी जीवन प्यार और विश्वास का खजाना है।
पाना ही होगा विश्वास और प्यार सभी पे लुटाना है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।