■ संपर्क-सूत्रम
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/b174aecea572b242b800cff7b6c7dabf_07cf2261d856033aa64d6e947e56e201_600.jpg)
■ संपर्क-सूत्रम
★ अंक अंक संदेश है…
★ कविता में कुछ ख़ास है
【प्रणय प्रभात】
“अष्ट गंध में नवरस डालो,
पंचदेव को नित्य मना लो।
नवधा भक्ति चार सदवेदा,
नव चिंतन करते हैं पैदा।
त्रिगुण समाहित द्वय हैं पक्षा,
चारों दिशा शून्य की रक्षा।।”
मित्रों! कोडिंग केवल विज्ञान और तकनीक की बपौती नहीं। यह कारनामा कविता भी कर सकती है। बात समझ आएगी, यदि समझना चाहेंगे तो। पहुंचिए कविता के मर्म तक। पहुंच पाएं तो….।।