होली
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/f70b7243327867a8f34305661f99110d_dda050b31872548edcbef796552f3a07_600.jpg)
होली है भई होली है,
रंग-रंगीली होली है।
कुछ महकी, कुछ बहकी-बहकी,
हवा फागुनी हो ली है।
गुलाल, अबीर उड़ रहे गगन में,
धरा रंगीली हो ली है।
गलियन-गलियन धूम मचाती,
चली मस्तों की टोली है।
साजन के रंग रंग गयी सजनी,
भीगी चूनर- चोली है।
रचनाकार : कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, ( उ०प्र०, भारत )
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
ता० : १७/०५/२०२३.