हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,
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हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,
हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,
अपनी मैं क्यों जिंदगानी लिखूं?
लहरें क्या सागर में बनना बिछड़ना है ,
मिट्टी का जीवन मिट्टी में बिखरना है,
हंसना कभी रोना निखरना बिफरना,
है जन्मों की आदत पुरानी लिखूं?
हवाओं पर कोई कहानी लिखूं,
अपनी मैं क्यों जिंदगानी लिखूं?
अजय अमिताभ सुमन