Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2022 · 1 min read

सुबह आंख लग गई

न जाने क्यों ?
आज सुबह आंख लग गई
गर्व है खुद पर
अरली राइजर हूं
घर मे सबसे पहले
मै ही उठता हूं
सैर को जाता हूं
सेहत का ख्याल रखता हूं
भूलोक का अमृत
मट्ठा पीता हूं
आयुर्वेद अपनाता हूं
लेजीनेस दूर भगाता हूं
दिन भर फुर्तीला रहता हूं
आज ऐसा न हो सका
आंख तो खुली थी
उठा भी था
लेकिन फिर लेट के सो गया
ऐसा लगा पत्नी ने जगाया
ऐ जी, आठ बज गये
फिर से नौजवान हो रहे हो ?
देर तक सो रहे हो
सकपका के उठ गया
घबरा गई थी
ये क्या हो रहा है ?
जगाने वाला सो रहा है।

स्वरचित
मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 405 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ashwani Kumar Jaiswal
View all

You may also like these posts

..
..
*प्रणय प्रभात*
ज़िन्दगी में पहाड़ जैसी समस्याएं होती है पर,
ज़िन्दगी में पहाड़ जैसी समस्याएं होती है पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बारिश की बूंदें और मिडिल क्लास।
बारिश की बूंदें और मिडिल क्लास।
Priya princess panwar
"जुल्मो-सितम"
Dr. Kishan tandon kranti
चंद शेर
चंद शेर
Shashi Mahajan
हर घर में जब जले दियाली ।
हर घर में जब जले दियाली ।
Buddha Prakash
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
जीव सदा जग में बेचारा
जीव सदा जग में बेचारा
संजय निराला
कर्क चतुर्थी
कर्क चतुर्थी
मधुसूदन गौतम
यही तो मजा है
यही तो मजा है
Otteri Selvakumar
भारतीय नारी शक्ति
भारतीय नारी शक्ति
Annapurna gupta
नील पदम् के दोहे
नील पदम् के दोहे
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
सूर घनाक्षरी
सूर घनाक्षरी
seema sharma
माँ शारदे कृपा कर दो
माँ शारदे कृपा कर दो
Sudhir srivastava
शब्द
शब्द
Dr. Mahesh Kumawat
आदि शक्ति
आदि शक्ति
Chitra Bisht
शिवजी चले हैं ससुराल
शिवजी चले हैं ससुराल
D.N. Jha
जीवनचक्र
जीवनचक्र
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
जितनी लंबी जबान है नेताओं की ,
जितनी लंबी जबान है नेताओं की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जीने की तुझको मेरी ख़्वाहिश जरा सी थी
जीने की तुझको मेरी ख़्वाहिश जरा सी थी
Dr fauzia Naseem shad
* सामने बात आकर *
* सामने बात आकर *
surenderpal vaidya
4462.*पूर्णिका*
4462.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
आइए जलते हैं
आइए जलते हैं
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
The more we try to possess, the less we truly own.
The more we try to possess, the less we truly own.
पूर्वार्थ
जिसको देखो दे रहा,
जिसको देखो दे रहा,
sushil sarna
मैं नारी हूं
मैं नारी हूं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ज्योति : रामपुर उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
ज्योति : रामपुर उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
Ravi Prakash
मुहब्बत से हराना चाहता हूं
मुहब्बत से हराना चाहता हूं
अरशद रसूल बदायूंनी
लोग कहते ही दो दिन की है ,
लोग कहते ही दो दिन की है ,
Sumer sinh
Loading...