सजि गेल अयोध्या धाम
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देखु सजि गेल अयोध्याधाम यौ,
अएला दशरथ केऽ ललनमा ।
सिया संग विराजत प्रभु राम यौ,
अप्पन मिथिलाक पहुंनमा…
देखु सजि गेल अयोध्याधाम यौ…
स्वर्ण सिंहासन श्रीराम के बैसायब,
राजमुकुट सेऽ शीश सजायब।
जागल जन जनकेऽ सिमटल भाग्य यौ.
राजा दशरथ के ललनमा…
देखु सजि गेल अयोध्याधाम यौ…
आइ अवध में उत्सव भारी,
रामसंग शोभय छथि सिया सुकुमारी।
निरखैत नैना निहाल यौ,
दशरथजी के ललनमा…
देखु सजि गेल अयोध्याधाम यौ…
सजि धजि सखि सभ मंगल गाऊ,
पुष्प बिछाऊ,घर घर दिया जलाऊ।
आइ हर्षित भेल,धरती आकाश यौ,
सियाजी के सजनमा…
देखु सजि गेल अयोध्याधाम यौ…
जाधरि सांस,प्राण अछि तन में,
राम जपब हम, राम अछि मन में।
हमतऽ छोड़ब नहिं प्रभु के चरणमा ,
दशरथजी के ललनमा…
देखु सजि गेल अयोध्याधाम यौ…
मौलिक आओर स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १४ /०१ /२०२४
पौष,शुक्ल पक्ष ,तृतीया ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
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