बेटियाँ
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/82a46e8738986956d05fd2d2248a25a1_2d0ab37b73a7f0ac0967ae5d7d31e9b7_600.jpg)
बेटियाँ
बेटियाँ घर , आंगन का फूल हैं
खुशियां देना उसका उसूल हैं
बेटियाँ का खर्च ना फिजूल है
बेटियाँ की हर दुआ कबूल है
हर क्षैत्र में आगे बेटियाँ हैं
तोड़ती समाज की हर बेड़ीयां
बेटियाँ को नाराज करना मनुष्य तेरी भूल है
बेटियाँ के कदमों की मिट्टी जन्नत की धूल हैं
000
– राजू गजभिये