दिखावे के दान का
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ईश्वर की दृष्टि से
कभी कोई दूर नहीं होता ।
दिखावे के दान का
कोई मूल्य नहीं होता ।।
समझा है यही मैंने
और समझना है तुम्हें भी ।
स्वयं के सिवा स्वयं का
कोई मित्र नहीं होता ।।
सार्थकता है तभी जब
निस्वार्थ हो जीवन ।
मानवता नहीं जिसमें
वो मनुष्य नहीं होता ।।
सत्यता यही है कोई
अतिश्योक्ति नहीं है ।
हृदय में समाहित हो
वो विलग नहीं होता ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद