चंद सिक्कों की खातिर
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चंद सिक्कों की खातिर , जो बिक गए
वे देश और समाज के लिए , नासूर हो गए |
जो मर मिटे देश की , माटी की खातिर
उनकी मजार पर , मेले रोशन हो गए ||
चंद सिक्कों की खातिर , जिन्होंने वतन से की गद्दारी
वे गुलाम वतन के लिए , नासूर हो गए |
जो मर मिटे देश की , आन की खातिर
वे सबके दिलों पर , राज कर गए ||