“कोई तो है”
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“कोई तो है”
कोई तो है
जो हमारी नींद तोड़ता है,
फिर उसको
जागरण से जोड़ता है
पता नहीं
वो कोई सपना है, वेदना है
कोई भूख है
कि मानवीय संवेदना है।
“कोई तो है”
कोई तो है
जो हमारी नींद तोड़ता है,
फिर उसको
जागरण से जोड़ता है
पता नहीं
वो कोई सपना है, वेदना है
कोई भूख है
कि मानवीय संवेदना है।