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3 Jan 2024 · 1 min read

अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ

अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
ये वक़्त बोलने का है कुछ बोलिये मियाँ

अब हो सके तो नींद से ग़फ़लत की जागिये
दिन चढ़ चुका है,आप बहुत सो लिये मियाँ

बदले में हम ने आपको क्या क्या नहीं दिया
अहसान हमने आपके जो – जो लिये मियाँ

यूँ ही बरस रहा है लहू , आसमान से
अब तो फ़िज़ा में ज़ह्र को मत घोलिए मियाँ

हम किस क़दर अजीब हैं ‘आसी’ ग़रीब लोग
ख़ुद आप रो लिये कभी, ख़ुश हो लिये मियाँ

Language: Hindi
97 Views
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