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5 Jun 2016 · 1 min read

-:मिलन की आहट:-

मेघा आज
सफ़ेद लिबास में
चाँद को लपेटकर
अभी अभी शाम को
अनंत अंबर में लेकर आई है
कितनी प्यारी लगती है
चारों तरफ से घिरे
काले बादलों के बीच
उनकी मोहक धवल छवि
मानो कोई प्रेयसी
सजधज कर आई हो
मिलन की आस में
एक लंबी विरह के बाद
मिलने अपने प्रियतम से
मनमुग्ध कर लेना
चाहती हो इसबार उसे
इस कदर कि
इस मिलन के बाद
फिर दुबारा कभी
बिछुड़न की टीस
न आये उनके जीवन में
सोलह शृंगार में सजी
बिखरे ज़ुल्फों को
आजाद कर उनकी अदाओं में
कजरारे आँखों में
एक अतृप्त प्यास लेकर
अपने अधरों पर
मधुर मुस्कान बिखेरते हुए
देख रही है अपलक उन राहों को
जिनसे होकर शायद अभी
मिलन की आहट
सुनाई देगी उनके कानों को
और समेट लेगी फिर
अपने गुलाबी पंखुड़ी आगोश में
अपने भँवरा को सदा के लिए
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 03.06.2016

Language: Hindi
734 Views
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