Tag: Manisha Manjari Hindi Poem
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क्यों करूँ नफरत मैं इस अंधेरी रात से।
Manisha Manjari
जगदम्बा के स्वागत में आँखें बिछायेंगे।
Manisha Manjari
कड़वा है पर सत्य से भरा है।
Manisha Manjari
ठोकरों ने गिराया ऐसा, कि चलना सीखा दिया।
Manisha Manjari
असफ़लताओं के गाँव में, कोशिशों का कारवां सफ़ल होता है।
Manisha Manjari
ये बारिश की बूंदें ऐसे मुझसे टकराईं हैं।
Manisha Manjari
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं।
Manisha Manjari
जब उम्मीदों की स्याही कलम के साथ चलती है।
Manisha Manjari
किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी।
Manisha Manjari
चरित्रार्थ होगा काल जब, निःशब्द रह तू जायेगा।
Manisha Manjari
इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी।
Manisha Manjari
आंधियां आती हैं सबके हिस्से में, ये तथ्य तू कैसे भुलाता है?
Manisha Manjari
सागर ने लहरों से की है ये शिकायत।
Manisha Manjari
धारणाएँ टूट कर बिखर जाती हैं।
Manisha Manjari
जीवन क्षणभंगुरता का मर्म समझने में निकल जाती है।
Manisha Manjari
रेत पर नाम लिख मैं इरादों को सहला आयी।
Manisha Manjari
रावणदहन
Manisha Manjari
काल के चक्रों ने भी, ऐसे यथार्थ दिखाए हैं।
Manisha Manjari
खुले आँगन की खुशबू
Manisha Manjari
अंधेरी रातों से अपनी रौशनी पाई है।
Manisha Manjari
ख़्वाहिश है की फिर तुझसे मुलाक़ात ना हो, राहें हमारी टकराएं,ऐसी कोई बात ना हो।
Manisha Manjari
मैं टूटता हुआ सितारा हूँ, जो तेरी ख़्वाहिशें पूरी कर जाए।
Manisha Manjari
ये उम्मीद की रौशनी, बुझे दीपों को रौशन कर जातीं हैं।
Manisha Manjari
काश उसने तुझे चिड़ियों जैसा पाला होता।
Manisha Manjari
अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं।
Manisha Manjari
अपनेपन का मुखौटा
Manisha Manjari
अपने नाम का भी एक पन्ना, ज़िन्दगी की सौग़ात कर आते हैं।
Manisha Manjari
आहटें तेरे एहसास की हवाओं के साथ चली आती हैं,
Manisha Manjari
हाथों को मंदिर में नहीं, मरघट में जोड़ गयी वो।
Manisha Manjari
अनवरत सी चलती जिंदगी और भागते हमारे कदम।
Manisha Manjari
जब हवाएँ तेरे शहर से होकर आती हैं।
Manisha Manjari
सृष्टि के रहस्य सादगी में बसा करते है, और आडंबरों फंस कर, हम इस रूह को फ़ना करते हैं।
Manisha Manjari
सुबह की किरणों ने, क्षितिज़ को रौशन किया कुछ ऐसे, मद्धम होती साँसों पर, संजीवनी का असर हुआ हो जैसे।
Manisha Manjari
जिसकी फितरत वक़्त ने, बदल दी थी कभी, वो हौसला अब क़िस्मत, से टकराने लगा है।
Manisha Manjari
नम पड़ी आँखों में सवाल फिर वही है, क्या इस रात की सुबह होने को नहीं है?
Manisha Manjari
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों के तीरों से, जब आत्मा छलनी की जाती है।
Manisha Manjari
खामोशियों ने हीं शब्दों से संवारा है मुझे।
Manisha Manjari
सपने जब पलकों से मिलकर नींदें चुराती हैं, मुश्किल ख़्वाबों को भी, हक़ीक़त बनाकर दिखाती हैं।
Manisha Manjari
लाखों सवाल करता वो मौन।
Manisha Manjari
ये हमारे कलम की स्याही, बेपरवाहगी से भी चुराती है, फिर नये शब्दों का सृजन कर, हमारे ज़हन को सजा जाती है।
Manisha Manjari
सम्मान ने अपनी आन की रक्षा में शस्त्र उठाया है, लो बना सारथी कृष्णा फिर से, और रण फिर सज कर आया है।
Manisha Manjari
निर्लज्ज चरित्र का स्वामी वो, सम्मान पर आँख उठा रहा।
Manisha Manjari
कट कर जो क्षितिज की हो चुकी, उसे मांझे से बाँध क्या उड़ा सकेंगे?
Manisha Manjari
कभी संभालना खुद को नहीं आता था, पर ज़िन्दगी ने ग़मों को भी संभालना सीखा दिया।
Manisha Manjari
तो मेरे साथ चलो।
Manisha Manjari
सवाल में ज़िन्दगी के आयाम नए वो दिखाते हैं, और जवाब में वैराग्य की राह में हमें भटकाते हैं।
Manisha Manjari
ख्वाहिशें आँगन की मिट्टी में, दम तोड़ती हुई सी सो गयी, दरार पड़ी दीवारों की ईंटें भी चोरी हो गयीं।
Manisha Manjari
हमसाया
Manisha Manjari
उसकी आँखों के दर्द ने मुझे, अपने अतीत का अक्स दिखाया है।
Manisha Manjari
जज़्बातों की धुंध, जब दिलों को देगा देती है, मेरे कलम की क़िस्मत को, शब्दों की दुआ देती है।
Manisha Manjari