Tag: ग़ज़ल
1k
posts
ग़ज़ल
Neelam Sharma
ज़िन्दगी में अब बचा क्या है?
Juhi Grover
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
दहेज की जरूरत नहीं
भरत कुमार सोलंकी
जमाने से विद लेकर....
Neeraj Mishra " नीर "
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
अंसार एटवी
कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
अंसार एटवी
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
अंसार एटवी
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
अंसार एटवी
मोहब्बत का यहाँ पर वो फ़साना छोड़ जाता है
अंसार एटवी
अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं
अंसार एटवी
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
अंसार एटवी
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा
अंसार एटवी
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
अंसार एटवी
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
अंसार एटवी
इससे पहले कोई आकर के बचा ले मुझको
अंसार एटवी
पहली नजर का जादू दिल पे आज भी है
VINOD CHAUHAN
वज़्न ---221 1221 1221 122 बह्र- बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुखंन्नक सालिम अर्कान-मफ़ऊल मुफ़ाईलु मुफ़ाईलु फ़ऊलुन
Neelam Sharma
हवा का ख़ौफ़
Akash Agam
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
वादा
Bodhisatva kastooriya
वादा
Bodhisatva kastooriya
मुहब्बत भी करके मिला क्या
डी. के. निवातिया
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
Neelam Sharma
अर्कान - फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र - रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ
Neelam Sharma
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
Neelam Sharma
उम्र घटने लगी
Nitesh Shah
सोचा एक अफ़साना लिख दूँ,
Nitesh Shah
पिता
Nitesh Shah
होली आई, होली आई,
Nitesh Shah
बच्चे देश की शान हैं
Nitesh Shah
दीप जले
Nitesh Shah
सूरज क्यों चमकता है?
Nitesh Shah
आँखें कुछ कहती हैं?
Nitesh Shah
कविता-निज दर्शन
Nitesh Shah
एक ज़माना ...
Nitesh Shah
दीप जलाएँ
Nitesh Shah
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
Nitesh Shah
बह्र- 1222 1222 1222 1222 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन काफ़िया - सारा रदीफ़ - है
Neelam Sharma
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
इतनी के बस !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
ग़ज़ल-सपेरे भी बहुत हैं !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
ग़ज़ल-कुछ नहीं आता !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर
Shyam Vashishtha 'शाहिद'