ANIL KUMAR SRIVASTAVA Tag: कविता 24 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ANIL KUMAR SRIVASTAVA 12 Aug 2021 · 1 min read फ़रियाद इस कशमकश में जिंदगी गुजर जाती है, दिल टूटता है बार बार, फिर नाउम्मीदी जहर घोल जाती है! तंग - रिश्तों की भी फरियाद होती है, तुममें मैं, मुझमें तुम... Hindi · कविता 1 1 410 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 18 Apr 2021 · 1 min read साधना के सुर उड़ चला हूँ आज फिर इस चंचल मन की डोर थामे, आस के पर, धैर्य, निष्ठा बंदना के सुर सम्भाले। पार कर लें इस तिमिर को ज्योति - पूंज बन... Hindi · कविता 681 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 2 Apr 2021 · 1 min read मंज़िल मैं तो इस सफ़र में एक पड़ाव सा हूँ ; अनंत जीवन सफर पर अपनी मंजिल का पता ढ़ूढता हूँ! बहुत कुदेरता हूँ अपने को परत दर परत, उभरते सुनहरे... Hindi · कविता 1 342 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 4 Jan 2021 · 1 min read जिंदगीनामा जिंदगीनामा तपती गर्मी झुलसता शरीर, और पावों में पड़े छाले भी! मन को सुकून देते हैं ; जब शाम ढले मेहनत के बटुऐ में खुशियां, अठखेलियाँ करती हैं! कम-बसर जिंदगी... Hindi · कविता 4 6 365 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 21 Dec 2020 · 1 min read देश - प्रेम कि जज्ब-ए देश - प्रेम ने तराशा है हमें कतरा कतरा लहू बह जाए भी तो क्या! दुश्मनों को चीर कर आसमानी हो जाऐं देश की आन की खातिर यह... Hindi · कविता 1 2 294 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 21 Dec 2020 · 1 min read कदंब की डारि जनम जनम मैं मिलूँ रे मितवा चाहे रहो परदेश, चरण कमल रज गहूं रे मितवा चाहे रहो परदेश। काहे श्याम भये बैरागी उद्धव ज्ञान सुजान रे! यमुना तीर करम बड़... Hindi · कविता 1 265 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 21 Dec 2020 · 1 min read अरमान शिकायतें रब से थीं और जनाज़ा जिंदगी का निकल गया! बिठाया सर माथे पे जिसको वही कातिल निकल गया! बहुत खुब थी दरियादिली उसकी पास बैठकर रुला गया! हंसते-हंसते जख्मों... Hindi · कविता 1 300 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 21 Dec 2020 · 1 min read मैं फिर आऊंगा मैं फिर आऊंगा! शेष - अशेष के जटिल भंवर में तोड़ समर के चक्रव्यूह मैं! अश्रुपूर्ण आंखों को छूकर भींगे बालों को सहलाने। तुमसे मिलने, मैं फिर आऊंगा! चिंतन के... Hindi · कविता 2 3 526 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 25 May 2020 · 1 min read हे गोविंद! उमड़ घुमड़ घिर घिर आए बदरा मोर चकोर करे नृत्य अगरा । सावन झर बूंदें बनी कंचन गावत राग मल्हार पिया संग। श्याम सुंदर छवि मोर मुकुट सजि राधा रानी... Hindi · कविता 1 425 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 9 Apr 2020 · 1 min read एहसास अनिश्चित जिंदगी का निश्चित अंश था वह मेरे अपने होने का, संपूर्णता का आभास था वह. क्या हुआ जो आज वह धुआँ-धुआँ सा हो गया गुजर गया दिलों के तार... Hindi · कविता 1 507 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 7 Apr 2020 · 1 min read जिंदगीनामा साथ तुम्हारा भावनाऐं आहत होती हैं जब उम्मीदें टूटती हैं सब्र भी इम्तिहान लेता है, घरौंदे का हमेशा ख्याल रखिए। मुनासिब है घर में खो जाना पेशाने पे लिखे फसाने... Hindi · कविता 470 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 14 Mar 2020 · 1 min read सहचरी तुम! सहचरी तुम! करूंगा सारे रंग निछावर हर रंग में रंग जाना तुम अपनी आंचल को फैलाकर इस जग पर छा जाना तुम। आंचल के विस्तार में तंत्रों की झंकार में... Hindi · कविता 1 422 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 3 Mar 2020 · 1 min read यह देश है मेरा! चाहे लाख करो कोलाहल तुम नागरिकता के आधार का यह देश हमेशा जिंदा है और कायल है संविधान का | तुमने कैसे यह मान लिया राष्ट्रीयता - भेद जी पाओगे... Hindi · कविता 1 2 519 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 14 Jan 2020 · 1 min read यह देश जागता है! यह देश जागता है! भावनाओं के समंदर पर बनते-बिगड़ते समीकरण, और आसान से प्रश्नों के उत्तर की खोज में, अंतहीन संघर्ष। मन की आकुलता, और द्वंद्व का रहस्य जैसे आज... Hindi · कविता 1 1 346 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 14 Jan 2020 · 1 min read सफर उम्र के पैंतरे और वक्त की आहट! सोंचता हूँ, तो मन उदास हो जाता है। इस गलियारे में अब गज़ब का सन्नाटा है! पसरती सांझ का शोर भी, मद्धम हुआ... Hindi · कविता 1 388 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 15 Sep 2019 · 1 min read घरौंदा नीड़ से बिछड़ी बिखर गया सब, तिनका तिनका गिला! बिखर गया सपनों का मंजर सूत सूत अलबेला । बुन चुन हर धागे में भरकर कातती गोला गोला गाती भर आंचल... Hindi · कविता 211 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 15 Aug 2019 · 1 min read जीवन - चक्र झुरमुटों की छांव में कुछ पल गुजार लें उबासी लेती जिंदगी का आज फिर हिसाब लें। दूर तक निगाह में सब्र के हिंडोले में अश्क भरे आंसूओं का आज फिर... Hindi · कविता 424 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 15 Aug 2019 · 1 min read प्रेम - पर्व चांदनी की रात ओढे तारों को उसमें पिरोए झुम कर उतरे कदम खिल गए हैं फूल सारे। रात की रानी खिली है मंद मुस्काती चमेली झूम कर तितली जो डोली... Hindi · कविता 300 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 15 Aug 2019 · 1 min read यादें आओ,आज फिर छत की मूंडेर पर बैठते हैं। चाय की प्यालियों के बीच जिंदगी की दुश्वारियों से दूर कुछ शकून भरे पल जीते हैं। देर तक निहारते वजूद को तलाशते... Hindi · कविता 263 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 29 Apr 2019 · 1 min read हे दीपक! हे दीपक! तुम तिमिर दंश हरो। क्रोध, मोह, लोभ, दंभ घृणा - द्वेष, शापित- तन अहं का प्रचण्ड - ताप असमंजस हरो। हे दीपक! तुम तिमिर दंश हरो। विस्मय, विराग... Hindi · कविता 270 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 22 Sep 2018 · 1 min read मुक्ति जुड़े जो तार जिन्दगी के इस मिट्टी से, मुक्ति के लिए। तुम्हीं बोलो मैं क्यों न हँसूं। जीवन का मधुमास रूप -बैराग्य बन उपवन में बिखर जाए। तुम्हीं बोलो मैं... Hindi · कविता 1 346 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 26 Aug 2018 · 1 min read गुमशुदा जिन्दगी अब गुमशुदा है न नाम है, न पता है। भारी आपदा है। राह में कल किसी ने पुकारा था, सम्बोधन स्पष्ट पर असंतोष भरा था। कदमों की परिभाषा मंद... Hindi · कविता 442 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 18 Aug 2018 · 1 min read बंदिशें "जब व्यक्ति की भावनाएं मर जाय तो समाज स्वत: मृत-प्राय: हो जाता है।" चीजों को बदलने दीजिए नफरतों से ही सही, दिल के आईने में बसने दीजिए। कल की सुबह... Hindi · कविता 330 Share ANIL KUMAR SRIVASTAVA 12 Aug 2018 · 1 min read जीवन रीति पग पग डगर डगर पीपल की छांव बरगद की ओट तले खेत - खलिहान। बाँस - बँसवाड, रचे जीवन संगीत महूए की छांव तले जगमग विहान। पग पग डगर डगर... Hindi · कविता 459 Share