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14 Jan 2020 · 1 min read

यह देश जागता है!

यह देश जागता है!
भावनाओं के समंदर पर
बनते-बिगड़ते समीकरण, और
आसान से प्रश्नों के
उत्तर की खोज में,
अंतहीन संघर्ष।
मन की आकुलता, और
द्वंद्व का रहस्य जैसे
आज फिर तप रहा है
तपस्वी का मौन तप।
जड़ता का संताप, और
व्यग्र हृदय की तड़प,
फिर नवांकुर बन प्रस्फुटित होने की चाहत।
बेमेल प्रश्नों के संधान, और
फिर से उबाल लेती तरूणायी
प्रवाह को थामे चित्त की वृत्तियां, और
आनंद से आच्छादित
संभवतः अपने स्वरूप की कशमकश में ;
यह देश जागता है!

अनिल कुमार श्रीवास्तव
10/01/2020

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 312 Views
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