Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Aug 2018 · 1 min read

गुमशुदा

जिन्दगी अब गुमशुदा है
न नाम है, न पता है।
भारी आपदा है।

राह में
कल किसी ने पुकारा था,
सम्बोधन स्पष्ट
पर
असंतोष भरा था।

कदमों की परिभाषा
मंद पड़ी आशा
अपरिचित आँखों का
दंश,
बड़ा गहरा था।

अपने को खोने का
लक्ष्य से भटकने का
प्रभा शून्य जिन्दगी के
अर्थ को समझने का
मूल -तंत्र
खोया है।
चित भी, रक्त -रंजित
क्षत-विक्षत
दूर कहीं सोया है।

भारी आपदा है।

Language: Hindi
413 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
पूर्वार्थ
♥️मां पापा ♥️
♥️मां पापा ♥️
Vandna thakur
*परिचय*
*परिचय*
Pratibha Pandey
"सौन्दर्य"
Dr. Kishan tandon kranti
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
मासुमियत - बेटी हूँ मैं।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
इस तरहां बिताये मैंने, तन्हाई के पल
gurudeenverma198
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
Ansh Srivastava
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मेरी हस्ती
मेरी हस्ती
Shyam Sundar Subramanian
कहने को आज है एक मई,
कहने को आज है एक मई,
Satish Srijan
खुदा कि दोस्ती
खुदा कि दोस्ती
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
चुनावी युद्ध
चुनावी युद्ध
Anil chobisa
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
अजब दुनियां के खेले हैं, ना तन्हा हैं ना मेले हैं।
umesh mehra
फितरत
फितरत
Sukoon
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
सबसे प्यारा माॅ॑ का ऑ॑चल
VINOD CHAUHAN
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
सृष्टि की अभिदृष्टि कैसी?
AJAY AMITABH SUMAN
ਯਾਦਾਂ ਤੇ ਧੁਖਦੀਆਂ ਨੇ
ਯਾਦਾਂ ਤੇ ਧੁਖਦੀਆਂ ਨੇ
Surinder blackpen
वो मुझे पास लाना नही चाहता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
कृष्णकांत गुर्जर
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
किताबों में तुम्हारे नाम का मैं ढूँढता हूँ माने
आनंद प्रवीण
सम्बन्धों  में   हार  का, अपना  ही   आनंद
सम्बन्धों में हार का, अपना ही आनंद
Dr Archana Gupta
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
Priya princess panwar
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
2362.पूर्णिका
2362.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मिलन
मिलन
Bodhisatva kastooriya
वीर-जवान
वीर-जवान
लक्ष्मी सिंह
अहमियत हमसे
अहमियत हमसे
Dr fauzia Naseem shad
*
*"परछाई"*
Shashi kala vyas
Loading...