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12 Jan 2024 · 1 min read

*परिचय*

परिचय

काशीसुता ‘प्रतिभा’ मन मोहक रंग-ढंग सी,
गंगाजल सी तरल, सरल मतवाली भंग सी।
प्यारी सुजीत की,
श्रावणी काव्य से मन मानस को सींचती ,
अगस्त्य के कमंडल की तोय कावेरी अभंग सी |

मुझ अनाथ का विश्वनाथ रखवाला ,
तिरूमनम्म्, बालाजी दरबार पहुंचाये मृगछाला ।
बी एच यू नेट पास पहुंची साहित्य के सानिध्य ,
आप के समर्थन से होता ‘प्रति’ का बोलबाला ।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
106 Views
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