Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2023 · 1 min read

कहने को आज है एक मई,

कहने को आज है एक मई,
श्रामिक दिवस का शोर भई।
मंहगाई से बढ़े रोज खई।
सब खुशियां घर से रूठ गई।
यदि श्रमिक दिवस मानना है,
सन्साधन भी दिलवाना है।
परेशानी से भरपूर हैं ये।
निज देश के मजदूर हैं ये।

श्रमिक दिवस विशेष
01.05.23

Language: Hindi
242 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Satish Srijan
View all
You may also like:
दाता
दाता
निकेश कुमार ठाकुर
23/196. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/196. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
Ravi Prakash
नौजवानों से अपील
नौजवानों से अपील
Shekhar Chandra Mitra
डोला कड़वा -
डोला कड़वा -
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
सर्द ठिठुरन आँगन से,बैठक में पैर जमाने लगी।
पूर्वार्थ
सभी मां बाप को सादर समर्पित 🌹🙏
सभी मां बाप को सादर समर्पित 🌹🙏
सत्य कुमार प्रेमी
याराना
याराना
Skanda Joshi
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
शिव की बनी रहे आप पर छाया
शिव की बनी रहे आप पर छाया
Shubham Pandey (S P)
शिर्डी के साईं बाबा
शिर्डी के साईं बाबा
Sidhartha Mishra
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
नीचे तबके का मनुष्य , जागरूक , शिक्षित एवं सबसे महत्वपूर्ण ब
Raju Gajbhiye
*चुन मुन पर अत्याचार*
*चुन मुन पर अत्याचार*
Nishant prakhar
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी
नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जीवन संध्या में
जीवन संध्या में
Shweta Soni
■ सोचो, विचारो और फिर निष्कर्ष निकालो। हो सकता है अपनी मूर्ख
■ सोचो, विचारो और फिर निष्कर्ष निकालो। हो सकता है अपनी मूर्ख
*Author प्रणय प्रभात*
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
satish rathore
तोड़ कर खुद को
तोड़ कर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
अष्टम कन्या पूजन करें,
अष्टम कन्या पूजन करें,
Neelam Sharma
नव संवत्सर आया
नव संवत्सर आया
Seema gupta,Alwar
उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि
उत्तर प्रदेश प्रतिनिधि
Harminder Kaur
मित्र भेस में आजकल,
मित्र भेस में आजकल,
sushil sarna
हमें लगा  कि वो, गए-गुजरे निकले
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"औरत ही रहने दो"
Dr. Kishan tandon kranti
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
*कांच से अल्फाज़* पर समीक्षा *श्रीधर* जी द्वारा समीक्षा
Surinder blackpen
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
कवि रमेशराज
छोड़ दिया
छोड़ दिया
Srishty Bansal
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदल चुका क्या समय का लय?
बदल चुका क्या समय का लय?
Buddha Prakash
Loading...