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अब तो दिन गुजरता है भटकते सराबों में । और रात गुजरती है ग़मगीन ख्वाबों खयालों में ।
श़ुक्रिया !
अब तो दिन गुजरता है भटकते सराबों में ।
और रात गुजरती है ग़मगीन ख्वाबों खयालों में ।
श़ुक्रिया !