महेश चन्द्र त्रिपाठी Tag: कविता 45 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 May 2024 · 1 min read धन्यवाद की महिमा धन्यवाद की महिमा न्यारी अलादीन का यह चिराग है जो तन-मन को शीतल कर दे यह ऐसी दैवीय आग है धन्यवाद देने वाले का नहीं पास से कुछ जाता है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 9 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 May 2024 · 1 min read मैंने पहचान लिया तुमको जीवनाधार तुम कहलाते तुम मेरे सपनों में आते तुम मेरे उरपुर के वासी तुम मुझसे कविता लिखवाते जब भी तुम दर्शन देते हो मेरी पीड़ा हर लेते हो मेरे नयनों... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 7 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परमेश्वर की वार्ता धरती से ज्यादा माँ सहिष्णु गतिवान वायु से ज्यादा मन पत्थर के हृदय नहीं होता मछली सोती है खोल नयन सबसे बढ़कर है धर्म दया मन-कल्मष को त्यागना स्नान जो... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 17 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आओ अच्छाई अपनाकर अच्छे विचार अच्छे भावों, को जन्म दिया करते हैं अच्छे भावों से भरकर हम, सत्कर्म किया करते हैं बुरे विचार बुरे भावों से , जब हमको भर देते हैं अवसादित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मजेदार है जीवन मजेदार है जीवन अपना, जीवन जीना है आसान परमात्मा की अनुकम्पा से, हम पर बरस रहे वरदान शरण गहें हम परमात्मा की, इससे बड़ा न कोई ज्ञान वह चाहता तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read उषा का जन्म जब हुआ उषा का जन्म, मृदुल- शीतल-सुरभित समीर डोली मुर्गे की बाँग सुनाई दी सुन पड़ी धतूरे की बोली विहगों ने त्याग बसेरा निज कलरव से जग को जगा दिया... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 12 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अर्थ काम के लिए अर्थ काम के लिए निरन्तर, होते बड़े-बड़े अपराध। हर सम्बन्ध गौण हो जाता, अपना ही बन जाता ब्याध।। मायापति की माया समझें, यही सिखाता हमको धर्म, यह सारी वसुधा कुटुम्ब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 18 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हमें पकड़ते नहीं हमें पकड़ते नहीं दुर्व्यसन, हम ही इन्हें पकड़ते हैं। ढोंग छोड़ने का करके हम, प्रतिपल इन्हें जकड़ते हैं।। अपनी लाख बुरी आदत के, दुर्गुण तो गाते हैं हम। लेकिन इच्छाशक्ति... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 18 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मैं अकूत धन का स्वामी मैं अकूत धन का स्वामी हूं मैं हूं विश्व-विजेता मेरे जैसा अन्य न कोई मैं युग का नचिकेता मेरा वार्तालाप प्रकृति के कण-कण से होता है जगतपिता मेरे मानस में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read नव पल्लव आए नव पल्लव आए तन तरु में जब पतझड़ से अवकाश मिला रोमांचित रोमावली अजिर उर उपवन में नव कुसुम खिला 💐 फिर से नूतन आशा जागी लगता उपलब्धि पुनः सम्भव... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हैं भण्डार भरे हैं भण्डार भरे दाता के, होते कभी न खाली। जिसने जितनी दौलत मांगी, उसने उतनी पा ली।। प्रभु के पास प्रचुरता धन की, इच्छित धन मिल जाता। देने वाला हर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 20 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read मुझ पर करो मेहरबानी मुझ पर करो मेहरबानी तुम मेरी ओर न हेरो मेरी पीठ, पीठ रहने दो अपना हाथ न फेरो तुम जिसका सिर सहलाते हो शुभाशीष देते हो प्रायः पागल हो जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आकर्षण का नियम आकर्षण का नियम, प्रेम का नियम कहा जाता है। जो करता है प्रेम, प्रेम से वह सब कुछ पाता है।। प्रेम-भाव से सराबोर जो, वह अजेय बन जाता। उसके ऊपर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हम रोते नहीं हम रोते नहीं, न रोयेंगे हम हॅंस-हॅंस हर दुख धोयेंगे हम कभी न होंगे शोकमग्न हम साथ सुखों के सोयेंगे हम सुख-दुख में रहते हैं सम मरने से कभी न... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 13 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेषित करें प्रणाम जीवन में हम काम वह करें जिससे हमें मिले आनन्द। जिससे उचट-उचट जाता मन उसको करना कर दें बन्द।। काम डूबकर कर पायेंगे यदि वह करना हमें पसन्द। और तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन है अनमोल जीवन है अनमोल और साॅंसें हैं सीमित अतः ज़रूरी है सुकीर्ति कर लें हम अर्जित करें न ऐसा काम कि जिससे छवि हो धूमिल नेक कार्य में सदा-सर्वदा हों हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 17 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हे जग की माता अवनी—अम्बर को आलोकित करती निर्मल हंसी तुम्हारी मां! तुम पर बलि—बलि जाते हैं भूमण्डल के सब नर—नारी सभी तुम्हारी अनुकम्पा के याचक हैं, हे जग की माता ! जिस पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आने वाला युग नारी का नारियां पहनतीं जींस—टॉप नारियां विमान उड़ाती हैं वे अन्तरिक्ष की यात्रा पर बेखौफ बेधड़क जाती हैं अपने अर्जन से वस्त्र पहन अपने अर्जन का खाती हैं अपना हक हक से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हा रघुनन्दन ! टूट गई मेरे बिन चाहे डोर नेह की असमय ही बढ़ गई अचानक पीर देह की लगी सताने याद अनवरत मन अकुलाए लाख यत्न के बावजूद हिय शान्ति न पाए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 13 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेम करें.... यदि प्रेम करें सागर से यदि तो खारा जल मीठा हो जाए प्रेम करें पेड़ो-पौधों से तो न प्रदूषण हमें सताए प्रेम करें पर्वत से यदि तो वह चरणों में नत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read तू कैसा रिपुसूदन मन को उड़ना नहीं सिखाया थिर रह करता क्रन्दन रिपु विचरें सानंद धरा पर तू कैसा रिपुसूदन ! मैं हूं तेरी शरण, शरण में मन को शांति न मिलती द्रवित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्यार की दरकार चाह रहा मैं गहन मौन में करना तुमसे प्यार गहन मौन में तुम न सकोगे मेरा प्यार नकार + चाह रहा मैं एकाकी ही करना तुमको प्यार सदा तुम्हारे एकाकीपन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read चाहता बहुत कुछ चाहता बहुत कुछ देखूं मैं चाहता बहुत कुछ पाऊं चाहता भ्रमर की भांति सदा मैं भी गुनगुनगुन गाऊं चाहता विहग बन उड़ूं और मैं दूर-दूर तक जाऊं संदेश शांति का... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परिवर्तन सृष्टि परिवर्तनमयी है, विज्ञ पुरुषों ने कहा नए को स्थान देकर पुराना जाता रहा पूर्ण रखता स्वयं को जगदीश सर्व प्रकार से किसीको दे जन्म जगमें,किसी के संहार से कहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 17 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन में संघर्ष जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन जीना सारहीन है। वीर कभी क्या बन पाएगा जो विलास में सहज लीन है? प्रेमपूर्वक सत्य के लिए जा सकता है सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अनन्यानुभूति अपनी विरहाकुलता का मैं साक्षी स्वयं अकेला साक्षी है जो अन्य उसी ने पैदा किया झमेला विरहाकुलता देन उसी की जो जन समझ न पाते वे विमोह वश व्याकुल होते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 15 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read सपनों की खिड़की सपनों की खिड़की से जो करते दुनिया में झांका पड़ जाता उनके उर में जब वे सोते तब डाका सपनों की खिड़की से भी दिखती दुनिया बहुरंगी दिख जाते पृथुल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Apr 2024 · 1 min read तुम्हारी याद जब तुम्हारी याद आती एक तारा टूटता है शान्त ज्वालामुखी उर का दहकता है, फूटता है जब तुम्हारी याद आती कांच—सा मन दरकता है और नयनों से व्यथा का एक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 30 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Apr 2024 · 1 min read सोचें सदा सकारात्मक सोचें सदा सकारात्मक ही, नाम राम का लेकर। भवसागर से पार लगाते, वही नाव को खेकर।। राम नाम में शक्ति समायी, हर लेती दुख सारे। नाम हमारे पाप नष्ट कर,... Hindi · कविता 1 39 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य प्रेम से पाएंगे शाश्वत सत्य प्रेम से मिलता जन्म प्रेम से प्रभु लेता, यम से अपने प्रमुख प्रश्न का उत्तर पाता नचिकेता - सबसे बढ़कर सत्य यही है प्रेम करें सचराचर से। सत्ता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 3 35 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Apr 2024 · 1 min read खोज सत्य की जारी है कर्मों का फल मिलता सबको, हर दीवाली होली में। कुछ को सुख मिलता बोली में, कुछ को मिले ठिठोली में।।। कुछ घूमें नंगे अधनंगे, कुछ पर आफ़त आती है, कुछ... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 48 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 30 Oct 2023 · 1 min read जग के जीवनदाता के प्रति प्राची में हम देखते नित्य, भगवान भास्कर का प्रताप। दुनिया का हर क्रीड़ा-कौतुक, उनकी ही गतिविधि का कलाप।। वे भ्रमरों के आश्रयदाता, वे चक्रवाक का हरें शोक। वे अखिल भुवन... Hindi · कविता 1 2 102 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Oct 2023 · 1 min read एक रूप हैं दो जगतपिता जगजननी दोनों एक रूप हैं दो कहलाए तुम में मुझ में भेद न कोई दोनों उसी एक के जाए उसका ही सारा जहान यह वह ही नर, वह ही... Hindi · कविता 197 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Oct 2023 · 1 min read धरी नहीं है धरा धरी नहीं है धरा कहीं पर यह सदैव गतिमय है। इसके अपने स्वर-व्यंजन हैं इसकी अपनी लय है।। इस पर लहराते हैं सागर रत्नाकर कहलाते। कभी ज्वार-भाटा से दोलित कभी... Hindi · कविता 1 2 119 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Sep 2023 · 1 min read कर्मफल कौन चुराता नहीं चांदनी, धूप नहीं लेता है लूट हम सब चोर लुटेरे ही हैं, रब देता है हमको छूट पाप सभी धोते गंगा में, ललचाते हैं लखकर रूप आप्तवचन... Hindi · कविता 1 130 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Aug 2023 · 1 min read सच्चाई प्रियतम! तुम आधा बटेर हो मैं हूँ आधा तीतर मुझमें यदि उग्रता अपरिमित क्षमा तुम्हारे भीतर रूठ गए तुम भले मगर है क्षमा अभी भी उर में और उग्रता भरी... Hindi · कविता 241 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Jul 2023 · 1 min read उषा का जन्म जब हुआ उषा का जन्म, मृदुल- शीतल-सुरभित समीर डोली मुर्गे की बांग सुनाई दी, सुन पड़ी धतूरे की बोली विहगों ने त्याग बसेरा निज कलरव से जग को जगा दिया... Hindi · कविता 214 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 9 Jul 2023 · 1 min read प्रेम प्रेम सदा कामनारहित है यह निर्मल उर का विलास है यह अनुक्षण बढ़ता जाता है दुनिया को देता प्रकाश है यह न कभी टूटता बीच में यह प्रतिपल अखण्ड रहता... Hindi · कविता 84 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 8 Jul 2023 · 1 min read मेघों के साथ साथ मन भी मेघों के साथ साथ मन भी उड़ने से बाज नहीं आता उड़ उड़ जन जन को जगा रहा हर दिल की सांकल खटकाता + दामिनि दिपदिप दिपदिप करती रास्ता दिखाती... Hindi · कविता 84 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Jul 2023 · 1 min read तुझमें मुझमें रहा न अन्तर जैसे छिपी रात में प्रात शान्ति छिपाए झंझावात कड़ी धूप में छिपकर बैठी रहती है भीषण बरसात वैसे ही तू मुझमें आया मैं भी तुझमें सदा समाया तुझमें—मुझमें भेद न... Hindi · कविता 73 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 3 Jul 2023 · 1 min read कल पर कोई काम न टालें बदल गए अब ढंग प्रसव के अब न पुजायी जाती पाटी। संस्कार सम्बोधन बदले बदल गई युग की परिपाटी।। बदले खेल, खिलौने बदले बदल गए रंजन के साधन। बदल गई... Hindi · कविता 125 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Jul 2023 · 1 min read फितरत कभी न बदला करती फितरत कभी न बदला करती, नर हो अथवा नारी चोरी भले न करे चोर पर, करता लउकाटारी सन्त सन्तई नहीं त्यागते, परहित में रत रहते कभी किसी को सपने में... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 166 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Jul 2023 · 1 min read बदल गई मेरी फितरत बदल गई मेरी फितरत अब, मुझमें अब न बुराई है घनीभूत होती जाती अब, जीवन में अच्छाई है मेरी काया हुई कुंदनी, रोग न मुझे सताते अब भाॅंति-भाॅंति के सद्विचार... "फितरत" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 94 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Dec 2018 · 1 min read प्रजातंत्र सब्जी मंडी में चाहे चुनो सड़ा आलू तुम या मिट्टी का गोभी चुनो प्लास्टिक का बैंगन या मटर रबड़ की तो भी चयन किसी का किसी दशा में होगा सही, असम्भव कोई ऐसा... Hindi · कविता 2 528 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 29 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ जीती सन्तान के लिए और मृत्यु को होती प्राप्त । जब तक जीती उसके मन में वात्सल्य रहता है व्याप्त ।। माँ की ममता, वात्सल्य की कद्र न करती... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 22 399 Share