महेश चन्द्र त्रिपाठी 157 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Apr 2024 · 1 min read तुम्हारी याद जब तुम्हारी याद आती एक तारा टूटता है शान्त ज्वालामुखी उर का दहकता है, फूटता है जब तुम्हारी याद आती कांच—सा मन दरकता है और नयनों से व्यथा का एक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 20 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Apr 2024 · 1 min read दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस तेरह करते तीन के, सम्भव हो तो तीस न्याय नीति ईमान से अपना पल्ला झाड़ सरकारों पर दोष मढ़, कीचड़ रहे... Quote Writer 1 14 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 26 Apr 2024 · 1 min read जनता की कैसी खुशहाली खुशहाली कैसी जनता की जनता की कैसी खुशहाली जनगणमन करता है क्रन्दन आहत भारतमाता का तन भागा भागा फिरता है मन सावन में बरस रही गाली जनता की कैसी खुशहाली... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 1 16 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 Apr 2024 · 2 min read समारोह चल रहा नर्क में नर्क, नर्क रह नहीं गया अब, भीड़ बढ़ रही, घनानन्द है। समारोह चल रहा नर्क में, द्वार न अब तक हुआ बन्द है ।। दूरदर्शनी चैनल अनगिन पत्र-पत्रिकाएं दिन-अनुदिन खड़े... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 5 23 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 Apr 2024 · 1 min read बदल रहा परिवेश बढ़ती जाती आपाधापी बदल रहा परिवेश हमारा। अंधाधुंध कट रहे हैं वन बढ़ता जाता सतत प्रदूषण होती जाती हवा विषैली वनीकरण अब केवल नारा। बदल रहा परिवेश हमारा ऊंचाई की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 18 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 23 Apr 2024 · 1 min read उॅंगली मेरी ओर उठी उँगली मेरी ओर उठी मैं मौन हुआ जाता हूँ मानव नहीं मिल रहा ढूँढ़े किसको गुरू बनाऊँ किससे कुछ सीखूँ मैं किसके सम्मुख शीश झुकाऊँ बरस रहे हैं व्यंग्य चतुर्दिक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 20 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Apr 2024 · 1 min read सोचें सदा सकारात्मक सोचें सदा सकारात्मक ही, नाम राम का लेकर। भवसागर से पार लगाते, वही नाव को खेकर।। राम नाम में शक्ति समायी, हर लेती दुख सारे। नाम हमारे पाप नष्ट कर,... Hindi · कविता 1 25 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य प्रेम से पाएंगे शाश्वत सत्य प्रेम से मिलता जन्म प्रेम से प्रभु लेता, यम से अपने प्रमुख प्रश्न का उत्तर पाता नचिकेता - सबसे बढ़कर सत्य यही है प्रेम करें सचराचर से। सत्ता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 3 32 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Apr 2024 · 1 min read खोज सत्य की जारी है कर्मों का फल मिलता सबको, हर दीवाली होली में। कुछ को सुख मिलता बोली में, कुछ को मिले ठिठोली में।।। कुछ घूमें नंगे अधनंगे, कुछ पर आफ़त आती है, कुछ... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 32 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 22 Mar 2024 · 1 min read कवियों की कैसे हो होली कवियों की कैसे हो होली मां के मस्तक का उड़ा रंग घायल है उसका अंग अंग हो उत्कल केरल याकि बंग सत्ता ने मधुशाला खोली कवियों की कैसे हो होली... Hindi · गीत 24 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Mar 2024 · 1 min read जगदाधार सत्य भिन्न नहीं जगदीश जगत से, हैं अभिन्न कवि कविता जैसे। जगदाधार सत्य, जग मिथ्या, पर विश्वास करूॅं मैं कैसे? कहता है अध्यात्म सिन्धु में, बाड़वाग्नि का वास चिरन्तन। दिखती हैं... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 4 2 47 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Mar 2024 · 1 min read सत्य और मिथ्या में अन्तर सत्य और मिथ्या में अन्तर, खोजी खोज न पाया। सत्य ब्रह्म की ही पसरी है, जग में मिथ्या माया ।। मायापति की सृष्टि जगत को, मिथ्या लोग बताते। मायापति है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 5 4 50 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Mar 2024 · 1 min read खोज सत्य की खोज सत्य की करने वाला, राही चले अकेला। धीरे-धीरे जुटता जाता, शिष्य वृंद का मेला।। बहुत कठिन है खोज सत्य की, बिरला ही कर पाता। मैं हूॅं कौन, कहाॅं से... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 3 36 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 Mar 2024 · 1 min read फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम। फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम। गोरी को लखने लगे, बुढ़ऊ गिरे धड़ाम।। बुढ़ऊ गिरे धड़ाम, उठाने दौड़ी गोरी। बना न कोई काम, प्रीति की छिपी न चोरी।। भाषत भारतभक्त,... Quote Writer 51 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 14 Mar 2024 · 1 min read पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है । पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है । अपमानित होकर मानव प्रतिशोध लिया करता है ।। रस्सी जल जाने पर भी ऐंठन किसकी कब जाती , प्रतिशोध न ले... Quote Writer 36 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चमत्कार होते न अचानक चमत्कार होते न अचानक, यत्न किए जाते हैं। पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।। वाग्वीर नेता पाटल सम, जन-मन मोहित करते। शिक्षक-कृषक रसाल सदृश बन, ज्योति जगत में... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 79 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read संशय ऐसा रक्तबीज है संशयात्मा के विनाश का, सूत्र मोद मन में भरता है। संशय ऐसा रक्तबीज है, जो न मारने से मरता है।। कैकेयी अम्बा के उर का, संशय वन भेजता राम को।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 47 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है, गुणासक्ति बंधन कहलाती। गुणातीत जीवन जीते जो, मुक्ति उन्हें भी है मिल जाती।। सत-रज-तम इन तीन गुणों से, जो जन ऊपर उठ जाते हैं। माया... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 58 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read भक्त जन कभी अपना जीवन भक्त जन कभी अपना जीवन, व्यर्थ नहीं खोते हैं। उनका कर्म वही है जिससे, प्रभु प्रसन्न होते हैं।। जब तक मन बलवान जगत से, नाता कभी न टूटे। मन पर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 75 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read काम वात कफ लोभ... काम वात, कफ लोभ, क्रोध को, पित्त कहा जाता है। रोग दूर करने में सद्गुरु, वैद्य काम आता है।। वात-पित्त-कफ तीनों से ही, मानव जीवन पाता। तीनों का सन्तुलित समन्वय,... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 56 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आने वाला आएगा ही आने वाला आएगा ही, जाने वाला जाएगा। कोई रोक न सका किसी को, कोई रोक न पाएगा।। जो जाने वाला है उसकी, हॅंसकर करें विदाई हम। आने वाले का स्वागत... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 49 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बच्चा बच्चा बने सपूत सब मिल करें प्रयास अकूत बच्चा बच्चा बने सपूत बच्चों के हित समय निकालें उनकी जायज मांग न टालें रोग कुपोषण से रक्षा कर करें प्रदान उन्हें बल—बूत घृणा द्वेष... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 62 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read फिर कोई मिलने आया है फिर कोई मिलने आया है आशा की उर्वरा धरा पर फिर कोई तरु मुसकाया है साँस साँस सरगम सी गुंजित करती हृदय सिंधु आलोड़ित उर उपवन की कोई कलिका नहीं... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 56 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !! तव चरणों में झुक जाते हैं अनुदिन अनुक्षण अनगिनत माथ तुम जगपालक ! जगउद्धारक !! तुम जगसर्जक ! जगसंहारक !! तुम दीनबंधु ! करुणानिधान... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 67 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read करते हैं जब यत्न नारियल के रेशों को बटकर, हम रस्सी मजबूत बनाते। करते हैं जब यत्न तभी तो, पय से घी निकाल हम पाते।। यत्न करें तो कुछ न असम्भव, कठिन काम भी... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 62 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चिन्तन के पार चला अब मैं चिन्तन के पार चला तज कर मनुहार दुलार चला अपमान मान से ऊपर उठ, लो जीती बाजी हार चला। अब फिक्र न रही पराभव की टूटे त्रिशूल या... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 47 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read बासठ वर्ष जी चुका बासठ वर्ष जी चुका, जाने कितने वर्ष और है जीना जाने कितने विष के प्याले मुझको अभी और है पीना जन्मा जाने कहां, किस तरह शैशव बचपन गया बिताया कहां-कहां... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 45 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 2 min read कविता कविता दिखती है कविता कवि की कलम पकड़कर, खुद को लिखती है। तब ही, केवल तब ही, कविता, कविता दिखती है।। कविता कवि के धर्म-कर्म में, जीवन में होती। कविता कवि के साथ-साथ... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 73 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read पूज्य पिता की पुण्यतिथि आज पुण्यतिथि पूज्य पिता की, दिनभर याद रही आती उनके शुभाशीष से ऊर्जा, मेरी कलम रही पाती उनके साथ तीर्थयात्राएं, की हैं मैंने बहुतेरी एकादश ज्योतिर्लिंगों की, उनके साथ हुई... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 1 67 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read ग़लती करना प्रकृति हमारी गलती करना प्रकृति हमारी, संस्कृति है कर लें स्वीकार अनुदिन प्रगति हमारी होगी, यदि गलती का करें सुधार अपनी गलती के कारण यदि, लगे किसी के दिल पर चोट हमें... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 46 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read करना कर्म न त्यागें कर्म अनादि, वेद प्रतिपादित, करना कर्म न त्यागें कर्मभूमि में युद्ध करें हम, होकर विमुख न भागें कर्मवीर जो कर्मनिरत रह, त्याग फलाशा देते उनसे लोग प्रेरणा पाते, सीख निरन्तर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 67 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read आओ फिर से नेता सुभाष नेता सुभाष आओ फिर से आओ फिर से नेता सुभाष हम राष्ट्रीयता जुनून लिये उर में भावना-प्रसून लिये रग-रग में रमता खून लिये दुर्दानवता के दलन हेतु हम चाह रहे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 41 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read है कर्तव्य हमारा मायावी को माया से ही, सदा जा सका मारा। उद्धत के सॅंग उद्धत होना, है कर्तव्य हमारा।। क्रोधी को अक्रोध से जीतें, दुर्मुख को समझाएं। दान कृपण को दें, झूठे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 57 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read सच्चे प्रेमी कहलाते हैं निर्हेतुक निष्काम निरन्तर, प्रेमपंथ पर चलने वाले सच्चे प्रेमी कहलाते हैं, राह न कभी बदलने वाले आज यहां कल वहां भटकते, वे न कभी मंजिल पाते हैं प्रेममार्ग से सदा... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 61 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read नित्य ईश की सत्ता है यह दुनिया दुखमय अनित्य है, नित्य ईंश की सत्ता है। उसकी इच्छा बिना न हिलता, तरु का कोई पत्ता है।। उसको जहाॅं बुलाओ आता, वह समीप है दूर वही। वह... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 67 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जीना होता आज मौज मनाएं नाचें गाएं, कर लें मन के काज मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज कुछ न बिगाड़ें कभी किसी का, करें सभी का मान कर्म करें ऐसे... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 61 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read मैं राग भरा मधु का बादल मैं राग भरा मधु का बादल देता दुनिया को संस्पन्दन पा रहा अहर्निश अभिनन्दन मेरे अवनी पर आने की हैं बाट जोहते मन-मरुथल संगीत -सिक्त मेरा गर्जन सुन पुलकित उपवन-उर-आनन... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 62 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चलो गीत गाएं पानी में जीवन है, आंसू में गीत चलो गीत गाएं हम, लें जग को जीत मिले नहीं पानी तो करें अश्रुपान सत्कर्म कर बढ़ाएं भारत की शान सहन करें आतप... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 72 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read मार न सकता कोई वह मरने से डरता जिसकी, प्रज्ञा रहती सोई। जिसको जीना आता उसको, मार न सकता कोई।। उसे न बाधा-विघ्न सताते, जो हॅंसहॅंसकर जीता। मरना उसे न दुख देता जो, सुधा... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 64 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read जीवन है परिवर्तनशील धर्म नित्य, सुख- दुख अनित्य है, जीवन है परिवर्तनशील। अभय रहें जब तक जीवन है, पकड़े रहें ज्ञान की कील।। सर्वभूतहित कर्म करें सब, रहें बढ़ाते सात्विक कोष। प्रतिकूलता अगर... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 47 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 30 Nov 2023 · 1 min read क्रोधी सदा भूत में जीता क्रोधी सदा भूत में जीता, वर्तमान में कामी। लोभी जीता है भविष्य में, करता नमकहरामी।। क्रोध घटित घटना पर आकर, काम बिगाड़ा करता। अधिक क्रोध का कुफल भोगती, है सारी... Hindi · गीत 149 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 30 Oct 2023 · 1 min read जग के जीवनदाता के प्रति प्राची में हम देखते नित्य, भगवान भास्कर का प्रताप। दुनिया का हर क्रीड़ा-कौतुक, उनकी ही गतिविधि का कलाप।। वे भ्रमरों के आश्रयदाता, वे चक्रवाक का हरें शोक। वे अखिल भुवन... Hindi · कविता 1 2 96 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Oct 2023 · 1 min read सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म। सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म। धार्मिक मानव कर नहीं सकता कभी कुकर्म।। विनयशीलता उर धरें पाकर कोई ज्ञान। कितने ही मर्मज्ञ हों पर न करें अभिमान।। ******** महेश... Quote Writer 64 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Oct 2023 · 1 min read एक रूप हैं दो जगतपिता जगजननी दोनों एक रूप हैं दो कहलाए तुम में मुझ में भेद न कोई दोनों उसी एक के जाए उसका ही सारा जहान यह वह ही नर, वह ही... Hindi · कविता 195 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 9 Oct 2023 · 1 min read जीवन पावन प्रेम नदी है जीवन पावन प्रेम नदी है, जिसमें सतत प्रवाह। शीत ताप पावस में अविरल, जो न बदलती राह।। गति जीवन का सत्य चिरन्तन, नदी संचरणशील। धारा भले पृथुल या कृश हो,... Hindi · गीत 1 134 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 7 Oct 2023 · 1 min read सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान। सत्साहित्य सुरुचि उपजाता, दूर भगाता है अज्ञान। रोग-शोक से रक्षा करता, देता मानव को पहचान। परोपकार का पाठ पढ़ाकर, भरता हिय में नव उन्मेष, स्वावलंबन की दिशा दिखाता, और बनाता... Quote Writer 177 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 7 Oct 2023 · 1 min read सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष। सत्साहित्य कहा जाता है ज्ञानराशि का संचित कोष। जो हममें भरता रहता है नव्य प्रेरणा नूतन जोश।। सत्यं शिवं सुन्दरं को ही कहते हैं हम सत्साहित्य , सतत अध्ययन अनुशीलन... Quote Writer 244 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Oct 2023 · 1 min read धरी नहीं है धरा धरी नहीं है धरा कहीं पर यह सदैव गतिमय है। इसके अपने स्वर-व्यंजन हैं इसकी अपनी लय है।। इस पर लहराते हैं सागर रत्नाकर कहलाते। कभी ज्वार-भाटा से दोलित कभी... Hindi · कविता 1 2 116 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 29 Sep 2023 · 1 min read मेरा हृदय खुली पुस्तक है मेरा हृदय खुली पुस्तक है पर इसमें कुछ लिखा नहीं है लिखा वही खोजता कि जिसने स्वाद प्रेम का चखा नहीं है जिसने जाना स्वाद प्रेम का वह न कभी... Hindi · गीत 1 133 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Sep 2023 · 1 min read तभी भला है भाई 💐💐💐 तभी भला है भाई 💐💐💐 ********************************* दूर नशे से रहना सीखें, तभी भला है भाई नशा छोड़ने की तुमने क्यों, कसम न अब तक खायी? सभी तरह का नशा... Hindi · गीत 148 Share Page 1 Next