महेश चन्द्र त्रिपाठी 200 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेषित करें प्रणाम जीवन में हम काम वह करें जिससे हमें मिले आनन्द। जिससे उचट-उचट जाता मन उसको करना कर दें बन्द।। काम डूबकर कर पायेंगे यदि वह करना हमें पसन्द। और तभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 184 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन है अनमोल जीवन है अनमोल और साॅंसें हैं सीमित अतः ज़रूरी है सुकीर्ति कर लें हम अर्जित करें न ऐसा काम कि जिससे छवि हो धूमिल नेक कार्य में सदा-सर्वदा हों हम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 354 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हे जग की माता अवनी—अम्बर को आलोकित करती निर्मल हंसी तुम्हारी मां! तुम पर बलि—बलि जाते हैं भूमण्डल के सब नर—नारी सभी तुम्हारी अनुकम्पा के याचक हैं, हे जग की माता ! जिस पर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 183 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read आने वाला युग नारी का नारियां पहनतीं जींस—टॉप नारियां विमान उड़ाती हैं वे अन्तरिक्ष की यात्रा पर बेखौफ बेधड़क जाती हैं अपने अर्जन से वस्त्र पहन अपने अर्जन का खाती हैं अपना हक हक से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 179 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read हा रघुनन्दन ! टूट गई मेरे बिन चाहे डोर नेह की असमय ही बढ़ गई अचानक पीर देह की लगी सताने याद अनवरत मन अकुलाए लाख यत्न के बावजूद हिय शान्ति न पाए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 245 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्रेम करें.... यदि प्रेम करें सागर से यदि तो खारा जल मीठा हो जाए प्रेम करें पेड़ो-पौधों से तो न प्रदूषण हमें सताए प्रेम करें पर्वत से यदि तो वह चरणों में नत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 181 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read तू कैसा रिपुसूदन मन को उड़ना नहीं सिखाया थिर रह करता क्रन्दन रिपु विचरें सानंद धरा पर तू कैसा रिपुसूदन ! मैं हूं तेरी शरण, शरण में मन को शांति न मिलती द्रवित... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 195 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read प्यार की दरकार चाह रहा मैं गहन मौन में करना तुमसे प्यार गहन मौन में तुम न सकोगे मेरा प्यार नकार + चाह रहा मैं एकाकी ही करना तुमको प्यार सदा तुम्हारे एकाकीपन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 180 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read चाहता बहुत कुछ चाहता बहुत कुछ देखूं मैं चाहता बहुत कुछ पाऊं चाहता भ्रमर की भांति सदा मैं भी गुनगुनगुन गाऊं चाहता विहग बन उड़ूं और मैं दूर-दूर तक जाऊं संदेश शांति का... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 189 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read परिवर्तन सृष्टि परिवर्तनमयी है, विज्ञ पुरुषों ने कहा नए को स्थान देकर पुराना जाता रहा पूर्ण रखता स्वयं को जगदीश सर्व प्रकार से किसीको दे जन्म जगमें,किसी के संहार से कहीं... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 241 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read जीवन में संघर्ष जीवन में संघर्ष न हो तो जीवन जीना सारहीन है। वीर कभी क्या बन पाएगा जो विलास में सहज लीन है? प्रेमपूर्वक सत्य के लिए जा सकता है सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 191 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read अनन्यानुभूति अपनी विरहाकुलता का मैं साक्षी स्वयं अकेला साक्षी है जो अन्य उसी ने पैदा किया झमेला विरहाकुलता देन उसी की जो जन समझ न पाते वे विमोह वश व्याकुल होते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 164 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 May 2024 · 1 min read सपनों की खिड़की सपनों की खिड़की से जो करते दुनिया में झांका पड़ जाता उनके उर में जब वे सोते तब डाका सपनों की खिड़की से भी दिखती दुनिया बहुरंगी दिख जाते पृथुल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 187 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Apr 2024 · 1 min read तुम्हारी याद जब तुम्हारी याद आती एक तारा टूटता है शान्त ज्वालामुखी उर का दहकता है, फूटता है जब तुम्हारी याद आती कांच—सा मन दरकता है और नयनों से व्यथा का एक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 210 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 27 Apr 2024 · 1 min read दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस तेरह करते तीन के, सम्भव हो तो तीस न्याय नीति ईमान से अपना पल्ला झाड़ सरकारों पर दोष मढ़, कीचड़ रहे... Quote Writer 1 327 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 26 Apr 2024 · 1 min read जनता की कैसी खुशहाली खुशहाली कैसी जनता की जनता की कैसी खुशहाली जनगणमन करता है क्रन्दन आहत भारतमाता का तन भागा भागा फिरता है मन सावन में बरस रही गाली जनता की कैसी खुशहाली... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 1 188 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 25 Apr 2024 · 2 min read समारोह चल रहा नर्क में नर्क, नर्क रह नहीं गया अब, भीड़ बढ़ रही, घनानन्द है। समारोह चल रहा नर्क में, द्वार न अब तक हुआ बन्द है ।। दूरदर्शनी चैनल अनगिन पत्र-पत्रिकाएं दिन-अनुदिन खड़े... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 5 296 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 24 Apr 2024 · 1 min read बदल रहा परिवेश बढ़ती जाती आपाधापी बदल रहा परिवेश हमारा। अंधाधुंध कट रहे हैं वन बढ़ता जाता सतत प्रदूषण होती जाती हवा विषैली वनीकरण अब केवल नारा। बदल रहा परिवेश हमारा ऊंचाई की... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 166 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 23 Apr 2024 · 1 min read उॅंगली मेरी ओर उठी उँगली मेरी ओर उठी मैं मौन हुआ जाता हूँ मानव नहीं मिल रहा ढूँढ़े किसको गुरू बनाऊँ किससे कुछ सीखूँ मैं किसके सम्मुख शीश झुकाऊँ बरस रहे हैं व्यंग्य चतुर्दिक... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 167 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 6 Apr 2024 · 1 min read सोचें सदा सकारात्मक सोचें सदा सकारात्मक ही, नाम राम का लेकर। भवसागर से पार लगाते, वही नाव को खेकर।। राम नाम में शक्ति समायी, हर लेती दुख सारे। नाम हमारे पाप नष्ट कर,... Hindi · कविता 1 293 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 2 Apr 2024 · 1 min read सत्य प्रेम से पाएंगे शाश्वत सत्य प्रेम से मिलता जन्म प्रेम से प्रभु लेता, यम से अपने प्रमुख प्रश्न का उत्तर पाता नचिकेता - सबसे बढ़कर सत्य यही है प्रेम करें सचराचर से। सत्ता... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 3 229 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 1 Apr 2024 · 1 min read खोज सत्य की जारी है कर्मों का फल मिलता सबको, हर दीवाली होली में। कुछ को सुख मिलता बोली में, कुछ को मिले ठिठोली में।।। कुछ घूमें नंगे अधनंगे, कुछ पर आफ़त आती है, कुछ... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 392 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 22 Mar 2024 · 1 min read कवियों की कैसे हो होली कवियों की कैसे हो होली मां के मस्तक का उड़ा रंग घायल है उसका अंग अंग हो उत्कल केरल याकि बंग सत्ता ने मधुशाला खोली कवियों की कैसे हो होली... Hindi · गीत 256 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 21 Mar 2024 · 1 min read जगदाधार सत्य भिन्न नहीं जगदीश जगत से, हैं अभिन्न कवि कविता जैसे। जगदाधार सत्य, जग मिथ्या, पर विश्वास करूॅं मैं कैसे? कहता है अध्यात्म सिन्धु में, बाड़वाग्नि का वास चिरन्तन। दिखती हैं... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 4 2 267 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Mar 2024 · 1 min read सत्य और मिथ्या में अन्तर सत्य और मिथ्या में अन्तर, खोजी खोज न पाया। सत्य ब्रह्म की ही पसरी है, जग में मिथ्या माया ।। मायापति की सृष्टि जगत को, मिथ्या लोग बताते। मायापति है... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 5 4 266 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 19 Mar 2024 · 1 min read खोज सत्य की खोज सत्य की करने वाला, राही चले अकेला। धीरे-धीरे जुटता जाता, शिष्य वृंद का मेला।। बहुत कठिन है खोज सत्य की, बिरला ही कर पाता। मैं हूॅं कौन, कहाॅं से... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 3 244 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 15 Mar 2024 · 1 min read फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम। फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम। गोरी को लखने लगे, बुढ़ऊ गिरे धड़ाम।। बुढ़ऊ गिरे धड़ाम, उठाने दौड़ी गोरी। बना न कोई काम, प्रीति की छिपी न चोरी।। भाषत भारतभक्त,... Quote Writer 356 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 14 Mar 2024 · 1 min read पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है । पीड़ा थकान से ज्यादा अपमान दिया करता है । अपमानित होकर मानव प्रतिशोध लिया करता है ।। रस्सी जल जाने पर भी ऐंठन किसकी कब जाती , प्रतिशोध न ले... Quote Writer 207 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read चमत्कार होते न अचानक चमत्कार होते न अचानक, यत्न किए जाते हैं। पनस समान मनुष्य सुफल का, सौरभ फैलाते हैं।। वाग्वीर नेता पाटल सम, जन-मन मोहित करते। शिक्षक-कृषक रसाल सदृश बन, ज्योति जगत में... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 247 Share महेश चन्द्र त्रिपाठी 4 Feb 2024 · 1 min read संशय ऐसा रक्तबीज है संशयात्मा के विनाश का, सूत्र मोद मन में भरता है। संशय ऐसा रक्तबीज है, जो न मारने से मरता है।। कैकेयी अम्बा के उर का, संशय वन भेजता राम को।... Poetry Writing Challenge-2 · गीत 220 Share Previous Page 2 Next