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2 May 2024 · 1 min read

परिवर्तन

सृष्टि परिवर्तनमयी है, विज्ञ पुरुषों ने कहा
नए को स्थान देकर पुराना जाता रहा
पूर्ण रखता स्वयं को जगदीश सर्व प्रकार से
किसीको दे जन्म जगमें,किसी के संहार से

कहीं अच्छा,बुरा बन भर दे न विश्व विकार से
इसलिए बदलाव लाता ईश विविध प्रकार से
आश्वस्ति सबको चाहिए,आश्वस्ति देता ईश है
इस सृष्टि का स्वामी नियंता प्राणदा जगदीश है

आओ करें नित प्रार्थना निज आत्मा की शांति हित
है प्रार्थना महिमामयी,यह बात है जग को विदित
जो कार्य करती प्रार्थना,हम सोच भी सकते नहीं
रहते सदा जो ईशमय, वे हैं कभी थकते नहीं

मूढ़ हैं वे मेष—बृष से जो न इतना जानते
अपने लिए,जग के लिए प्रभु को नहीं जो मानते
श्रृंखला है प्रार्थना उस सुनहली जंजीर की
सृष्टि है जिससे बंधी कपिला सदृश रघुवीर की ।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

Language: Hindi
155 Views
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