Pakhi Jain Tag: कविता 41 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pakhi Jain 22 Dec 2023 · 12 min read जीवन के रूप (कविता संग्रह) प्रस्तुत संग्रह पूर्णतः स्वरचित है। छंद मुक्त कवितायें जीवन के विविध रूपों को दर्शाने का प्रयास है। आशा है पसंद आयेगा। लंबी कविता ..अतुकांत .एकाकी मन जब विचलित होता ,शब्द... Hindi · कविता 3 2 87 Share Pakhi Jain 5 Jan 2023 · 1 min read दिनांक --5/1/2023 दिनांक --5/1/2023 नववर्ष की शीतल ऋतु में , तन थर थर काँपे जब । उल्लास की एक किरण गर्माहट से भर जाती तब। अलस सुबह कोहरे की चादर , प्रकृति... Hindi · कविता 2 251 Share Pakhi Jain 5 Dec 2022 · 1 min read जन्मदिन स्पेशल परम् आदरणीया मनोरमा जैन पाखी जी के अवतरण दिवस पर लिखी मेरी एक रचना उनको समर्पित...... मन मनोरम दृष्टि चंचल । कुञ्ज की पाखी अरी ! हूँ।।00 स्नेह के निर्झर... Hindi · कविता 2 112 Share Pakhi Jain 10 Oct 2022 · 1 min read माँ थाम के ऊँगली तेरी ..हर रिश्ता पीछे छोड़ चला। माँ थाम के ऊँगली तेरी ..हर रिश्ता पीछे छोड़ चला। बीती यादों के संग ही अब देख नाता जोड़ चला । सुख के दिन बीत रहे थे .थाम पिता की... Hindi · कविता 2 113 Share Pakhi Jain 9 Oct 2022 · 1 min read तुझे क्या कहूँ अपनों से गिला करूँ तो गैरों से क्या कहूँ। वार जब अपने ही करें तो गैरों से क्या कहूँ। बहुत आशनाई थी तुझे हमसे भरोसा जताया लेकर मन के भेद... Hindi · कविता 2 188 Share Pakhi Jain 26 May 2022 · 2 min read चार कवितायें मुक्त छंद मुक्त छंद 1- कौन तुम ? मुझे अर्धरात्रि में छोड़कर जाने वाले ! पाहुन तो नहीं थे तुम , फिर कौन थे ? अबोध दुधमुंहे शिशु को अनाथ करने का... Hindi · कविता 2 1 147 Share Pakhi Jain 8 May 2022 · 1 min read मदर्स डे स्पेशल खत़ माँ के नाम, मन की कारा में छिप के बैठी बातें आज लिख रही खत़ में वह,सारी ही जज्बातें । विषय अनकही बातें दिनांक 8/05/2022 मेरी मम्मी,.। लिख रही... Hindi · कविता 1 128 Share Pakhi Jain 28 Jan 2022 · 1 min read स्मृतिकोश छविचिंतन स्मृतियों के कोष में , मोती मुक्ता सम चमकीं। यादें तुम्हारी प्रियवर वो मन गुहा में जैसे चटकीं।। गहन कारा में जैसे तप करती साध्वी सी उरनिलय में निवासिनी... Hindi · कविता 2 376 Share Pakhi Jain 28 Jan 2022 · 1 min read कौन शुभ संध्या तुम कौन .. हरीतिमा की मखमली चादर , श्वेत शफ़्फ़ाक बदन पर काले मोतियों से सजी मेरे ख्बावों ,सपनों को समेटे ... तू कौन ?? फडफडाते पन्नों पर... Hindi · कविता 1 190 Share Pakhi Jain 20 Jan 2022 · 1 min read तू कौन स्वतंत्र अभिव्यक्ति , तुम कौन .. हरीतिमा की मखमली चादर , श्वेत शफ़्फ़ाक बदन पर काले मोतियों से सजी मेरे ख्बावों ,सपनों को समेटे ... तू कौन ?? फडफडाते पन्नों... Hindi · कविता 1 2 203 Share Pakhi Jain 15 Jan 2022 · 1 min read जादू -- #शब्दों का जादू #अतुकांत बहुत हौले से कहा था कुछ सरगोशी करते तुमने सुर्ख कपोलों पर निशां प्यार का अंकित करते। गुलाब की नाज़ुकी सी थी छुवन तेरे शब्दों... Hindi · कविता 2 5 436 Share Pakhi Jain 9 Jan 2022 · 1 min read एहसास . एहसास ..। ये अहसास ही तो है कोमल ,सुंदर सा . जोड रखा है हमें आपस में ये अहसास ही तो थे । अहसास होता है तब होती अनुभूतियाँ... Hindi · कविता 1 171 Share Pakhi Jain 8 Jan 2022 · 1 min read कैसी हो तुम ..स्त्री बहती नदी की धार सी ज्यों चूल्हे में जलती आग सी। कभी देहलीज पर जलते दीप सी तो कभी आले में जलती मोमबत्ती सी .. पुराने जमाने की लालटेन या... Hindi · कविता 2 179 Share Pakhi Jain 4 Jan 2022 · 1 min read अनुभूती अनुभूति मेरे *मन* की अनुभूति व्यक्ति-अभिव्यक्ति के भँवर में सदैव डूबती -उतराती रहती है। न जाने किन झंझा-झकोरों में फँसी उलझती जाती है। देख वैमनस्यता के बीज स्नेहारोपण क्यूँ करना... Hindi · कविता 2 446 Share Pakhi Jain 3 Jan 2022 · 1 min read देखा है मैंने 03/01/2021 रविवार को सृजित की गयी रचना देखा है मैने उसे टूटने की हद तक चाहते डूबने तक प्यार में चाहते प्यार के लिए मचलते तड़पते.....। देखा है मैने उसे..... Hindi · कविता 328 Share Pakhi Jain 28 Dec 2021 · 1 min read नारी नारी .. लिखे गये काव्य हजारों तुम पर कभी सौंदर्य पर ,कभी हुनर पर । कभी चालबाजियों पर कभी उन साजिशों पर। लोगों ने बनाकर कहानियाँ हवा दी तुम्हारी फित़रत... Hindi · कविता 1 312 Share Pakhi Jain 21 Dec 2021 · 1 min read जिंदगी जिंदगी बदसूरत ही होती है सच्चाइयों से जो भरी होती है । देखोगे दर्पण ,स्वयं ही दिखोगे कोई बात कहाँ छिपी होती है ? यंत्र हो चुके है मन ,संवेदनहीन... Hindi · कविता 1 356 Share Pakhi Jain 21 Dec 2021 · 1 min read कैसे जी भुलाना भी आसां नहीं होता सहे हैं कुछ तीर ऐसे भी। जख़्म दिखाये भी नहीं जाते बने नासूर ये कैसे जी। जो भी हुआ ,अच्छा हुआ शायद दौर वो था... Hindi · कविता 1 287 Share Pakhi Jain 20 Dec 2021 · 1 min read अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस 19/11/2019अंतराष्ट्रीय पुरूष दिवस पर सृजित हुये कुछ भाव।?..?????? हाँ ,तुम पुरुष हो , कठोरता के कवच में ढाले गये। निर्भीकता की आंच में पाले गये । पाषाण हृदय सम कठोर... Hindi · कविता 3 2 302 Share Pakhi Jain 14 Dec 2021 · 1 min read नववधू नवसृजन -54 शीश पर ओढ़नी लाज की रंग लाल पाया । प्यार ,समर्पण का ओढ़ घूंघट पति गेह पाया। सुहाग सिंदूर भर भाल पर माथे टिकुली लगाया। बना निशानी सुहागन... Hindi · कविता 2 4 302 Share Pakhi Jain 14 Dec 2021 · 1 min read मौत मौत ,तू कविता नहीं पूरा काव्य संसार है। जिस दिन मिलेगी मुझे , रोक लूँगी धड़कनों का गतिशील स्पंदन , आती जाती साँसों का हवाओं से रिश्ता तोड़ ही लूँगी।... Hindi · कविता 2 269 Share Pakhi Jain 4 Dec 2021 · 1 min read बदलते रिश्ते शुभ संध्या स्नेह का धागा, संवाद की सुई और क्षमा की दो बूंद जीवन की चादर में उधड़ते रिश्तों की,तुरपाई कर देती है..! ??जय जिनेन्द्र?? फिर दिसंबर की धूप ढली... Hindi · कविता 2 561 Share Pakhi Jain 4 Dec 2021 · 2 min read अनगढ़ शब्द ,लंबी कविता 15--व्यक्तित्व रहस्य की पर्तों से झांकता ,नेत्र वलय में ठहरता कुछ तो हो सम्मोहित सा करने वाला तन की दीवारों को भेद स्वयं में ही सिमटता अजब आकर्षण बातों में... Hindi · कविता 2 2 439 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ--3 : जटा बढ़ाए बंजारा मन ढूढ़ रहा नित ठौर..!! इकतारा बजता टुनटुन मैं भारत हूँ। अतीत के स्वर्णिम पन्नों में बिखरी पुरा संपदा करती गौरव गान मैं भारत हूँ। ललित... Hindi · कविता 1 434 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ--2 .: रचना-2 गीत गा रही हवा सुहानी इठलाती कहती मैं भारत हूँ । इंद्रधनुष के रंग सजीले आभा बिखराते कहते मैं भारत हूँ। उड़ते पाखी नील गगन कलरव करते कहते... Hindi · कविता 1 245 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read मैं भारत हूँ --1 [04/07, 18:20] ..: मैं भारत हूँ मैं भारत हूँ ,हाँ मैं भारत हूँ अपने ही संस्कारों में घिरा मैं भारत हूँ। नीला नभ ऊपर ,नीचे वसुंधरा हरी शान से लहराता... Hindi · कविता 458 Share Pakhi Jain 20 Nov 2021 · 1 min read तुम कौन स्वतंत्र अभिव्यक्ति , तुम कौन .. हरीतिमा की मखमली चादर , श्वेत शफ़्फ़ाक बदन पर काले मोतियों से सजी मेरे ख्बावों ,सपनों को समेटे ... तू कौन ?? फडफडाते पन्नों... Hindi · कविता 1 371 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read तेजाब की जलन ...तेजा़ब अटैक के परिप्रेक्ष्य में , तेजाब की जलन ^^^^^^^^^^^^^^^ एक दंश .एक चोट और बस गूँजा हाहाकार तुम्हारी अपुष्ट वासना की हुई जब यूँ हार प्यार,इश्क,मुहब्बत ,जज्बात तेरे लिये... Hindi · कविता 360 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read वेदना पूछते हैं हुआ क्या आज *तुमको* मुस्कुरा देते हैं अधर कहें क्या और कैसे? कितना कुछ है समोया हुआ कहीं कहीं छितरा हुआ सा..। एकाकीपन, बेगानापन जैसे खुद से ही... Hindi · कविता 2 333 Share Pakhi Jain 18 Nov 2021 · 1 min read आना मन के द्वार मेरे मन के आँगन का , वह झरोखा खुला हुआ है , आओगे तुम!! आना ही होगा, नेह निमंत्रण पड़ा हुआ है। ले आना सर्द मौसम में , कॉफी से... Hindi · कविता 396 Share Pakhi Jain 12 Nov 2021 · 1 min read बाल दिवस विशेष जय माँ शारदे बालदिवस विशेष श्रम की भेंट चढ़ा है शैशव,कर में फावड़ा ओ पलरिया, जले जब ज्ञान कि ज्योति हे विभु! छौनों से तब छिने कुदलिया। कोस रहे हा!बाप... Hindi · कविता 1 1 222 Share Pakhi Jain 3 Nov 2021 · 1 min read शब्दसृजन शब्दसृजन शब्द विलोम शब्द सड़क राह ,संपर्क माप अमाप ,छापा आपदा अनापत्ति ,खुशी आपत्ति व्यामोह तकदीर निर्मोह बडवानल कामाग्नि दावानल ज्वाला भँवर कूल ,किनारा बवंडर भँवर अंधड छंद मुक्त नम... Hindi · कविता 1 182 Share Pakhi Jain 2 Nov 2021 · 1 min read अंतर्द्वंद नमन माँ शारदे! विषय:- #अन्तर्द्वन्द ===================== टिकी निगाह क्षितिज पर ,सवालों के नभ में दायित्वों का बोझ बंधा ,क्यों नारी आँचल में। गर्भ से लेकर मरण तक ,देती परीक्षा हर... Hindi · कविता 1 2 218 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 1 min read पगडंडियां गाँव की पगडंडियां विधा- छंदमुक्त,स्वतंत्र बोली- हिन्दी- देशज 27.03.2018 को लिखी गयी कविता ============= कच्ची पक्की धूर सी गलियाँ लगती थी सुहानी सी गलियाँ एक मोड़ से खतम तो मिलती... Hindi · कविता 1 401 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 1 min read हरसिंगार -२८/०४/ २०१९को लिखी शेफाली (हरसिंगार)पर कविता छंदमुक्त ,स्वतंत्र ●●●●●● तेरे सुर्ख लबों से जब ,हरसिंगार झरे , महके खुश्बू से तेरी फिजाँ जवाँ लगे। गुलज़ाफरी,कहूँ या शेफा़लिका तुमको, शिवली बन... Hindi · कविता 1 190 Share Pakhi Jain 26 Oct 2021 · 1 min read मिटाना है शुभ साँझ यूँ ही ...चलते चलते मुमकिन सब है यहाँ , यह किसे बताना है आदतों का गुलाम , आज तो जमाना है। झुकने की नहीं आदत , झुकाना सीख... Hindi · कविता 1 424 Share Pakhi Jain 13 Oct 2021 · 1 min read गुलाब प्रतीक रहा मन की कोमलता का , भावनाओं के प्रस्फुटन का, मन की नम भूमि पर , अँकुआती अभिव्यक्ति का। बना प्रतीक भिन्नता का कभी सुख-समृद्धि का। पूंजीवादी सभ्यता का... Hindi · कविता 2 2 158 Share Pakhi Jain 13 Oct 2021 · 1 min read दीप और बाती बन वर्तिका खुद ही जलती रही दर्द दीप का ,तूलिका लिखती रही। तपता रहा पूरी विभावरी जो, लड़ता रहा खुद से ,सोचता रहा। निशीथ संग युद्ध इस कदर वह किस... Hindi · कविता 2 2 286 Share Pakhi Jain 12 Oct 2021 · 1 min read ओ अंबे मैया शुभ दिवस जय माता दी हंसासिनी,पद्मासिनी हस्तखड़ग,मर्दांगिनी।। अम्बे,जगदम्बे भवानी गौरी ,तू ही कात्यायनी।। तेरा करूँ कैसे गुणगान ।हो ओ अंबे मैया ,जग दंबे मैया तू ही सँवारे बिगड़े काम।हो दर... Hindi · कविता 1 222 Share Pakhi Jain 9 Oct 2021 · 1 min read एक शाश्वत मौत.. फिर वही झील में कंकड़ उछाल कर तेरा जाना। और मैं सिहरती रहती हूँ देर तक उन्हीं कँपकपाती लहरों की तरह। जो छपाक् से फेंके कंकड़से झनझनाती रहती हैं देर... Hindi · कविता 2 150 Share Pakhi Jain 29 Sep 2021 · 1 min read पाखी_मन शीर्षक :--अवसर (छंदमुक्त ,स्वतंत्र सृजन) मिला अवसर उन्हीं को था , बने संबंध जिनसे आत्मीय । पंक्ति में पहले आकर भी , रहे खड़े, पीछेछिपे ,दीन हीन । श्रम,उमंग,अंतहीन इंतजार... Hindi · कविता 2 2 355 Share