जिंदगी
जिंदगी बदसूरत ही होती है
सच्चाइयों से जो भरी होती है ।
देखोगे दर्पण ,स्वयं ही दिखोगे
कोई बात कहाँ छिपी होती है ?
यंत्र हो चुके है मन ,संवेदनहीन
भावाभिव्यक्ति कहाँ घनी होती है?
चेहरे पर चढ़ा हो अहम् का पर्दा
हर सूरत में खोट नहीं होती है।
लाख बदसूरत सही कहानी मेरी
लेखनी तो सदा उज्जवल होती है ।
ख्याति,लाभ,हानि,अपमान खेल है
मुकद्दर में सब के जय कहाँ होती है!
झूठ के हवाई किले ताशमहल से
सच की भूमि दलदली ही होती है।
खुश रहो तुम अपनी दुनियाँ में ऐसे
मजमें में सूरतों की कमी नहीं होती है ।
पाखी_मिहिरा