*गुरु जी की मक्खनबाजी (हास्य व्यंग्य)*
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
बाल कविता: लाल भारती माँ के हैं हम
देखता हूँ बार बार घड़ी की तरफ
सच समझने में चूका तंत्र सारा
माईया दौड़ी आए
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
योग हमारी सभ्यता, है उपलब्धि महान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
पन्द्रह अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है ।।
💐प्रेम कौतुक-343💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)