Simmy Hasan Tag: कविता 68 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Simmy Hasan 2 Oct 2022 · 1 min read पापा तुम्हारे पापा रो रहे थे कितनी दुआएँ देते ज़रा सी बात थी कोई तीर नहीं मारा था तुमने फिर भी तुम्हारी ज़रा सी कोशिश पर भी छलक आईं थीं आँखे... Hindi · कविता 1 253 Share Simmy Hasan 3 Nov 2021 · 1 min read एक बूंद सुकून मेरी ज़िंदगी के आखिरी लम्हों में कोई झूठ मत रखना कोई फ़रेब मत रखना मत रखना कोई झूठी उम्मीद तसल्ली... ख़्वाब बस उस एक लम्हे में एक बूंद सुकून डाल... Hindi · कविता 1 2 492 Share Simmy Hasan 16 Sep 2021 · 1 min read सच मैंने कम देखा है लोगों को सच को सच कहते अपनी कमियों को स्वीकारते खुद को खुद की तरह ज़ाहिर करते ज़माने के साथ चलने की होड़ में खुद को... Hindi · कविता 1 310 Share Simmy Hasan 26 Jul 2021 · 1 min read उस पार सब जा चुके हैं वहाँ उस पार मैं यहाँ हूँ सोचती हूँ क्या कोई मुझे याद करता होगा वहाँ जैसे मैं याद करती हूँ यादों के प्रतिबिम्ब में सब साफ... Hindi · कविता 3 3 284 Share Simmy Hasan 12 Jun 2021 · 1 min read छाजन छाजन टपकता था बारिशों में रात भर टप टप टप उनींदी आंखों में नींद की कड़वाहट लिए कभी भरी बाल्टियाँ उलिंचती और कभी सोए बच्चों को थपकतीं बारिशें.... किसानों की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 3 434 Share Simmy Hasan 9 Jun 2021 · 1 min read बारिश का मौसम बारिश के मौसम में वो पास आते दिल ओ जिस्म में एक जादू जगाते फिर नटखट हवाएँ शरारत सी करतीं कोई लट मेरे नर्म गालों पे ढ़लती वो हैरां से... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 3 385 Share Simmy Hasan 9 Jun 2021 · 1 min read सफर गाँव से कस्बे तक का सफर काफी महंगा रहा और लम्बा भी जाने कहाँ खो गयी बारिशों की धुन मिट्टी की महक रिश्तों की खुश्बू उरेठ बोलियों में मुहब्बतों के... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 1 295 Share Simmy Hasan 31 May 2021 · 1 min read गाँव की बारिश बारिशों में जब शहर की सड़कों पर जम जाता है पानी, कीचड़ और फिर बेचैन करने वाली उमस तब याद आता है गाँव बारिशों से महक उठते हैं घर, आँगन,... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 5 608 Share Simmy Hasan 16 May 2021 · 1 min read बनिहारिनें धान रोपने जाती बनिहारिनों की कतारें भींगतीं जातीं, गाती जातीं गीत....जो बरसो से है उनके होंटों पर ओर हर साल की बारिश में मचल उठते है ये गीत और गूंजता... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 4 488 Share Simmy Hasan 30 Apr 2021 · 1 min read लिखो तुम कविता लिखो धू धू करती लाशों पर लिखो लिखो की किताबों के पन्नो से उठता रहें धुआँ जब जब खोला जाए भारतीय इतिहास का कोना लिखो लिखो की कैसे... Hindi · कविता 3 8 484 Share Simmy Hasan 26 Mar 2021 · 1 min read नारी सुरक्षा एक छोटी सी बच्ची से लेकर 80 साल की वृद्धा तक जिसके बस स्त्री होने से ही हिल जाए पुरुषों का पुरुषत्व जाग जाए उनकी विभत्स कुत्सित वासना प्रवृत्ति जहाँ... Hindi · कविता 4 534 Share Simmy Hasan 2 Feb 2021 · 1 min read नाम तुम्हारे नाम तुम्हारे ख़त लिखना था, दिल का हाल बयां करना था.. लिखना था अच्छे लगते हो, जज़्बातों के सच्चे लगते हो... याद तुम्हारी क्यों आती है? आँखों को अच्छे लगते... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 19 49 927 Share Simmy Hasan 21 Nov 2020 · 1 min read नारी सशक्तिकरण जब भी सोचती हूँ कि आज़ाद भारत में नारी सशक्तिकरण कितना विस्तृत हो सकता है तो अचानक कोई सिकुड़ा हुआ पुरूष सत्तात्मक दानव किसी कोने से हुंकारता अचानक आ जाता... Hindi · कविता 1 3 303 Share Simmy Hasan 18 Nov 2020 · 1 min read हँसती हुई औरतें हँसती हुई औरतें, बड़ी निर्लज्ज होती हैं। चूल्हा,चौका ,बर्तन.. घास, गाय, गोबर, उपले... यहाँ तक कि, देहरी की सांकल से बंधी, निकाल लेती हैं ; आज़ादी का एक क्षण, खुद... Hindi · कविता 4 517 Share Simmy Hasan 15 Nov 2020 · 1 min read किसान बिना दाल -रोटी कौनो कारखाना ना चली तबहूँ मरीहें किसान ? बिना कपास कौनो फैसन ना चली तबहूं मरीहें किसान बिना सरसों, तिलहन, तिल ना तलाई पकौड़ी, समोसा, जलेबी तबहूँ... Hindi · कविता 3 405 Share Simmy Hasan 14 Nov 2020 · 1 min read दीवाली अपनो का इंतज़ार करते, बूढ़े माँ बाबा हर दीवाली जलाते हैं दिया उम्मीदों का कि लौट आएं शायद एक दिन शहर की चकाचौंध में भटके, उनके अपने.. Hindi · कविता 3 3 352 Share Simmy Hasan 12 Nov 2020 · 1 min read मॉल न्याय ? मौजूदा लोकतंत्र के बड़े से मॉल का वो महंगा खिलौना है जिसे फुटपाथ पर चलने वाले मजदूर, मेहनतकश ,कामगार कभी नहीं खरीद सकते Hindi · कविता 1 335 Share Simmy Hasan 12 Nov 2020 · 1 min read शिकायतें हम शिकायत नहीं करतीं, पिता भाई से मार खा कर.. हम चुप रहती हैं, रास्तों में छेड़े जाने पर.... टीचर के शाबाशी के लिए, पीठ सहलाए जाने पर.... हम चुप... Hindi · कविता 3 335 Share Simmy Hasan 10 Nov 2020 · 1 min read औरतें हँसती हुई औरतें इतनी चुभती हैं कि हथकड़ियां भी इनकी हंसी से चटख जाया करती हैं Hindi · कविता 5 1 359 Share Simmy Hasan 8 Nov 2020 · 1 min read खेद है खेद है छोटा सा शब्द सारी सम्भावनाओं पर फेर देता है पानी पर कवि खुद से उपजता है इन्ही विषमताओं से लड़ता की तुम सबके खेद के लिए मुझे खेद... Hindi · कविता 3 1 487 Share Simmy Hasan 2 Nov 2020 · 1 min read ब्याहता एक आंसू गिरा आंखों से झर कर हृदय भीग गया था पर डर था आँचल का कोना भीग कर सवाल न खड़ा कर दे की स्त्री का मन भी कोई... Hindi · कविता 4 2 372 Share Simmy Hasan 26 Oct 2020 · 1 min read ज़ुल्मत घर से निकल रहे हो इतना खयाल रखना ज़ुल्मत की इंतेहा है तुम एहतियात रखना दाढ़ी और टोपियों से जलती हैं जिनकी जाने निकले हैं भेड़िए कुछ आदम की ख़ाल... Hindi · कविता 7 2 350 Share Simmy Hasan 21 Oct 2020 · 1 min read चलन कुछ जाने पहचाने लोग बहुत डराते हैं की अंदर तक सहम जाए मन दिल जैसे कोई भींचे मुट्ठियों में बेल्ट, चप्पल, जूते सबसे खतरनाक की इनकी शिकायत भी जायज़ नहीं... Hindi · कविता 5 1 479 Share Simmy Hasan 17 Oct 2020 · 1 min read शिलालेख मैं अगर थोड़ी मजहबी नहीं होती तो अपनी कब्र पर एक पत्थर लगवाती शिलालेख जैसा कुछ और उनसब के नाम भी जिनसे मैं प्रेम करती थी और बदले में बस... Hindi · कविता 9 4 532 Share Simmy Hasan 10 Oct 2020 · 1 min read डर वे डरते हैं। वे डरते हैं अमन से, एकता से, भाईचारे से.. विद्यार्थियों से, विद्वानों से, शिक्षाविदों से.. अधिकारों के लिए उठती हुई आवाज़ों से.. अमन चैन के पैरोकारों से,... Hindi · कविता 7 3 425 Share Simmy Hasan 7 Oct 2020 · 1 min read बरहना लाशें नाज़ों से पाली हुई पलकों पे सजने वाली माँ की परछाईं बाप की जान जब टुकड़ो में उठाई जातीं हैं या आधी रात मार कर जला दी जाती हैं या... Hindi · कविता 5 3 392 Share Simmy Hasan 13 Sep 2020 · 1 min read यहोवा यहोवा! मैंने स्वयं नहीं चुना था खुद को न अभिलाषा थी किसी जीवन की न चाहा यूँ खुद को घोंटते हुए जीना की स्वयं को पल पल मुरझाते हुए देखूं... Hindi · कविता 6 2 296 Share Simmy Hasan 15 Aug 2020 · 1 min read तिरंगा वो लड़े पर झुके नहीं लड़खड़ाए, पर गिरे नहीं कुरबां हुए वतन पर और लुटा गए अपनी मुहब्बतें आजादी की शक्ल में हमारे आजाद मुस्तकबिल के लिए ये तिरंगा महज़... Hindi · कविता 8 1 496 Share Simmy Hasan 27 Jul 2020 · 1 min read वबा रोज़ ब रोज़ लोग मर रहे हैं कुछ वबा से, कुछ भूख से कुछ सपनो के मर जाने से और कुछ उन बंदिशों से जो तुमने लाद रखे है उनपर... Hindi · कविता 8 4 601 Share Simmy Hasan 21 Jul 2020 · 1 min read बचपन चारदिवारी में कैद अक्सर मुर्झा जातीं हैं नन्ही कलियाँ की बचपन डरा सहमा सा झांकता दीवारों के उस पार देखता है रंगीन तितलियां खूबसूरत फूल उगता, डूबता सूरज टिमटिमाते जुगनू... Hindi · कविता 7 5 457 Share Simmy Hasan 19 Jul 2020 · 1 min read बलिया बाग़ियों की सर ज़मीन, सौ बार तेरा शुक्रिया.. सुर्खरू हैं हम की हमने, जन्म बलियाँ में लिया.. सौ बार तेरा शुक्रिया.. सौ बार तेरा शुक्रिया.. था यही का बागी मंगल,... Hindi · कविता 11 3 577 Share Simmy Hasan 16 Jul 2020 · 1 min read सुनो दोस्त सुनो दोस्त हाशिए पर चलना छोड़ो तलाशों अपनी राहें दिल की सुनो और मौका मिलते ही निकल भागो कहीं दूर जहां महसूस कर सको खुद के पंख ताजी हवाएं अपनी... Hindi · कविता 8 2 535 Share Simmy Hasan 14 Jul 2020 · 1 min read महानता सुनो किसे पुकारती हो तुम इस बियाबान में ये जंगल इंसानों का है हर एक सुनाना चाहता है बस अपनी ही और इस शोर में क्या तुम कह सकोगी जो... Hindi · कविता 7 5 705 Share Simmy Hasan 10 Jul 2020 · 1 min read ये बनिहारिने... धान रोपने जाती बनिहारिनों की कतारें भींगतीं जातीं, गाती जातीं गीत....जो बरसो से है उनके होंटों पर ओर हर साल की बारिश में मचल उठते है ये गीत और गूंजता... Hindi · कविता 8 4 407 Share Simmy Hasan 9 Jul 2020 · 1 min read सिपाही सुनो सिपाही कुछ सुनाओ न अच्छा सा झरबेरियों पर उगी खट्टी मीठी बेरियों पर बच्चों के पत्थर और बया के घोसलों के बारे में या उस जंगल के बारे में... Hindi · कविता 9 2 539 Share Simmy Hasan 7 Jul 2020 · 1 min read टूटे पत्थर... हथौड़े का भार , यूँ तो कम नहीं.. पर कंधे पर, जिम्मेदारियों की गठरी.. भारी है , इस लोहे के बोझ से.. जिससे तोड़ पत्थर, खरीद सकती हूं चंद निवाले..... Hindi · कविता 8 2 533 Share Simmy Hasan 6 Jul 2020 · 1 min read वो एक दिन। वो एक दिन जिसके इंतज़ार में हमने हज़ार रातें रो रो काटी हैं उससे कहना कि जिसने चाहा था उस एक दिन को हज़ार रातों में हयात ए बेसबाती लाया... Hindi · कविता 10 1 292 Share Simmy Hasan 4 Jul 2020 · 1 min read अंधेरे डूबते सूरज की तरह आकाश से दूर एक छोर पर खो रही हूं या उग रहीं हूँ नहीं पता पर थकन इतनी की अब जी चाहता है बस उतार दूं... Hindi · कविता 7 5 484 Share Simmy Hasan 1 Jul 2020 · 1 min read "तारा" वो टांक रहा था बड़ी नफासत से, आहिस्ता आहिस्ता.. आसमान के आंचल में रात के अंधेरों तले चाँद सितारे छिड़क रहा था दरियाओं पर कहकशां आज़ाद कर दिए जुगनुओं के... Hindi · कविता 5 5 465 Share Simmy Hasan 30 Jun 2020 · 1 min read अंगूठा.. दोस्त बिछड़ गए थे मन में कुछ सवाल थे झिझक और डर भी ये वही दोस्त थे जो हमसे ज़्यादा हमे जानते थे हमारे दिल से लेकर ज़हन तक जिनको... Hindi · कविता 6 5 393 Share Simmy Hasan 28 Jun 2020 · 1 min read स्त्री गावँ की कच्ची सड़क पर टहलती उस वृद्धा से अनायास ही मिली थी और ठहर गयी कुछ क्षण 70 पार मृदुल स्नेह वाली जीवन के इस ठहराव पर भी जो... Hindi · कविता 7 8 564 Share Simmy Hasan 24 Jun 2020 · 1 min read सत्ता जब निरंकुश लिप्साओं के पुजारी, मानव वेश में स्वघोषित, स्वचयनित, आसीन होते हैं, एक मर्यादित स्थान पर.. गूंज उठती हैं चीत्कारें, मासूमों की क्योंकि ये भेड़िये, अपनी लिप्साओं की पूर्ति... Hindi · कविता 8 4 336 Share Simmy Hasan 20 Jun 2020 · 1 min read वो लड़कियां वो लड़कियां जो अब भी हैं पर हमारी ज़िन्दगियों में नहीं दूर हैं एक बहन होने से या एक बेटी पर अब भी किसी की बहू किसी की बीवी हैं... Hindi · कविता 7 1 539 Share Simmy Hasan 15 Jun 2020 · 1 min read मन की गिरहें.. मन की गिरहें, यूँहीं नहीं बनती की हर गिरह का.. अपना दर्द है अपनी कहानी , और ये गिरहें इस तरह चुभती हैं , की छीन लेती हैं आंखों से... Hindi · कविता 4 2 557 Share Simmy Hasan 13 Jun 2020 · 1 min read ऐ मेरी रात... रात मेरी जान तू क्यों बेज़ार नज़र आती है सोगवार सी हर रात तू बेचैन गुज़र जाती है लग के सिरहाने से हर रात तू सिसकती है सहर शबनम लिए... Hindi · कविता 7 316 Share Simmy Hasan 30 May 2020 · 1 min read मेरे ख़्वाब.. ख़्वाब और हक़ीक़त मेरे लिए दोने एक से हैं शाम के अंधेरों के साथ जब खत्म हो जाती हैं उम्मीदें.. तो रात सितारों की छावं चाँद को निहारती सो जातीं... Hindi · कविता 6 2 266 Share Simmy Hasan 10 May 2020 · 1 min read माँ दूर जाते हुए मुड़ कर देखा था तुझे और पाया मुस्कुराते हुए वही फीकी सी मुस्कान जिसे पहचानती हूँ उन दिनों से जब तुम कह देती थी सब ठीक है... Hindi · कविता 7 2 363 Share Simmy Hasan 20 Apr 2020 · 1 min read ज़िंदगी खुद को कुछ मोहलत तो दे कर देखते, ज़िन्दगी कुछ और जी कर देखते... मौत किस मसले का हल है, ज़िन्दगी बन कर कभी तुम देखते.. ग़ुम हो गए लेकर... Hindi · कविता 5 266 Share Simmy Hasan 29 Feb 2020 · 1 min read समंदर पार हमे लगता था समंदर पार जो एक दरिया सा बहता है जहां रहतीं हैं कुछ परियाँ जहां नग़मा सा बहता है मिलोगी तुम वहीं पर ही किसी फूलों के झूले... Hindi · कविता 8 2 290 Share Simmy Hasan 23 Feb 2020 · 1 min read बाबा बस वही एक चेहरा है जाना पहचाना सा जो मेरी उम्र के साथ बदलता गया शदाबी से झुर्रियों तक पर मेरे लिए मुहब्बतों के रंग कभी मुर्झा न सके उस... Hindi · कविता 4 2 610 Share Page 1 Next