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2 Oct 2022 · 1 min read

पापा

तुम्हारे पापा रो रहे थे
कितनी दुआएँ देते
ज़रा सी बात थी
कोई तीर नहीं मारा था तुमने
फिर भी तुम्हारी ज़रा सी कोशिश पर भी
छलक आईं थीं आँखे उनकी
मैंने तो बस आवाज़ सुनी थी
भर्राई हुई
खुशी और जज़्बात के तास्सुरात से
लरज़ती
और मेरे पास….
कोई एहसास नहीं थे
जो रिश्तों या
एहसासों से भरे होते
हाँ
कुछ शब्द ज़रूर थे
जिन्हें सुन कर ही
मुझे सिहरन हो आती थी
बचपन से ही
वो शब्द था
पापा….

Language: Hindi
1 Like · 194 Views
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