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तिश़नगी जम गई है पत्थर की तरह होठों पर डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला। क्या भला मुझको परखने का नतीजा निकला ज़ख्मे दिल आपकी नजरों से भी गहरा निकला।
श़ुक्रिया !
Lajawab
तिश़नगी जम गई है पत्थर की तरह होठों पर डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला।
क्या भला मुझको परखने का नतीजा निकला ज़ख्मे दिल आपकी नजरों से भी गहरा निकला।
श़ुक्रिया !
Lajawab