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16 Jul 2020 · 1 min read

सुनो दोस्त

सुनो दोस्त
हाशिए पर चलना छोड़ो
तलाशों अपनी राहें
दिल की सुनो
और मौका मिलते ही
निकल भागो
कहीं दूर
जहां महसूस कर सको
खुद के पंख
ताजी हवाएं
अपनी मचलती धड़कने
कुम्हलाएँ ख्वाबों को
फिर से सींचने
आरजुओं की कश्ती को
दिल के दरिया में
फिर से आज़ाद बहाने को
क्योंकि आज़ादी से बेहतर कुछ नही
चाहे वो खयालों की हो
या अधिकारों की
तो उठो, दौड़ो चलो
जहां के ख्वाब छुपा लिए सबसे
जहां की ख्वाहिशें घोंट दी तुमने
सुनो दोस्त
हाशियों पर चलना छोड़ो
तपती है दोपहर
और शामें
थकन लिए
जैसे रूह थका देती हैं
गाँव पुकारता है तुम्हे
पगडंडियों सी बाहें फैलाएं
हरियाली कि गोद में
महकती खुशबू लिए
तुम्हारे बचपन की मिठास
से भरी
गांव की बोलियां
पुकारतीं हैं तुम्हे
सुनो दोस्त खुद को टटोलो
और चलों
उ न पुरानी राहों पर
शायद वो मिल जाए
जिसे तुम छोड़ आए थे
बरसों पहले
तुम्हारा खोया सुकून
कोई पुराना साथी,
कोई भूली कहानी
या कोई अपना
सुनो दोस्त

Language: Hindi
8 Likes · 2 Comments · 455 Views
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