एक देश एक कानून
भेद भाव में जन्मी सनातनी व्यवस्था, को एक समान बनाना है,
यूनिफॉर्म सिविल कोड लाकर सभी को ब्राह्मण या सभी को शूद्र बनाना है..।।
ना कोई रहेगा सारस्वत, शर्मा ना कोई रहेगा पिप्पली, मेहतो, वर्मा,
राजपूत, ठाकुर, ब्राह्मण के माथे से, जाति का झूठा घमंड हटाना है..।।
हर कोई चढ़ेगा घोड़ी ताँगा, हर कोई बांधेगा सिर से सेहरा साफा,
बारात निकलेगी भरी समाज से, सात फेरों के विद्वान मंत्र सुनाएगा..।।
हर कोई करेगा मंदिर में पूजा, हर कोई भगवान की आरती गाएगा,
हर कोई करेगा वेद मंत्रों का पाठ, हर कोई जन्म कुंडली बनाएगा..।।
ना काम के नाम से जाति बनेगी, ना कोई होगा नाई, बढ़ई, कुम्हार या चमार,
नाली, नाला, कूड़ा को हर साफ करेगा, ना कोई होगा जाति से ढ़ोल गवाँर ।।
आरक्षण से मिले जाति प्रमाणपत्र को, समाज में समान सम्मान प्रमाणपत्र में बदलना है,
धन दौलत संम्पति के आधार पर, हर गरीब को आगे बढ़ने का अवसर देना है.।।
बहुत ठग लिया जाति नेता और पंडाओं ने, अब ना किसी के पैरों में शीश झुकाना है,
यूनिफार्म सिविल कोड लाकर, धनवान शूद्रों से भी आरक्षण को बचाना है.।।
पहले करेंगे हिंदुओ को एक समान, फिर अन्य धर्मो को भी इसी कानून में लाना है,
यूनिफार्म सिविल कोड बनाकर, एक देश एक कानून बनाना है..।।
जाति के नाम पर ना हो कोई अत्याचार, जाति के नाम पर ना हो कोई भेदभाव,
धर्म तो है आध्यात्मिक आस्था, धर्म के कर्मकांडों से इंसानियत को बचाना है..।।
यूनिफॉर्म सिविल कोड लाकर, इंसानियत का भेद मिटाना है,
एक सम्मत कानून बनाना है, सभी को एक समान अधिकार दिलाना है..।।
प्रशांत सोलंकी
नई दिल्ली-07