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15 Jul 2023 · 1 min read

फितरत

फितरत

आदतें कहाँ कभी बदलती है,
फूल कहाँ महकना छोड़ती है,
अच्छे अच्छाई नहीं छोड़ता है,
कपटी बुराई नहीं छोड़ता है,

कभी-कभी जो बदलते हैं,
उसे बदलना नहीं कहते हैं,
बदलाव तो अंदर से होता है,
ऊपर से तो दिखावा होता है,

नदियां बहना नहीं छोड़ती है,
सागर खारापन नहीं छोड़ता है,
पहाड़ स्थिरता नहीं छोड़ता है,
सूरज प्रकाश नहीं छोड़ता है,

जीव हो या निर्जीव
फितरत किसी का नहीं बदलता है,
उसकी प्रवृत्ति ही आचरण बनता है।

–पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान 15-07-2023

Mob-Wats – 9414875654
Email – poonamjha14869@gmail.com

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