Ranjana Mathur Language: Hindi 458 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read लावणी छंद......... क्षितिज हुआ है रक्तिम देखो, रवि किरणों की है लाली। गुंजित विहगवृंद चहकार , उपवन महकी हर डाली।। प्राची की मधुमय पुरवाई, चहुंओर डाला डेरा। देवालय घंटी सुमधुर है, जागो... Poetry Writing Challenge 74 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read द्रुतविलम्बित छंद विहग वृंद उमंगित शोर है। उदित भानु तरंगित भोर है।। क्षितिज रक्तिम प्रकृति घेरता। अतुल दृश्य विहान बिखेरता।। गगन शोभित है खग वृंद से। पवन के थपके मृदु मंद से।।... Poetry Writing Challenge 69 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read गुपाल/भुजंगिनी छंद विदा निशीथ उतरा विहान। व्योम गुंजित खग वृंद गान।। वसुंधरा सज रही अनूप। अंबरांत का नया स्वरूप।। सजित सृष्टि अप्रतिम निखार। उठो सवेरा रहा पुकार।। कलरव नदी निनाद तरंग। दर्शित... Poetry Writing Challenge 196 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read 🌹विजात छंद 🌹 °°°°°°°°°°°°°°°°° विनायक सिद्धि दाता हो तुम बुद्धि के प्रदाता हो जगत जयकार है गाता हर काम सफल हो जाता तात शिव पार्वती माता गणपति से सबका नाता आप प्रभु देव हो... Poetry Writing Challenge 131 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read "भुजंगप्रयात छंद" न कोई पराया सभी हो करीबी सभी ही सुखी हों मिटाएं गरीबी। सभी को सहारा यही लक्ष्य सारा निखारें सजाएं बढ़े देश प्यारा। हमें हारना है नहीं दुश्मनों से सदा... Poetry Writing Challenge 287 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2023 · 1 min read निश्छल छंद आई पहने धूप ओढ़नी, ऋतु बैसाख! सूर्य कोप छाया वन कानन, बनते राख!! बिना कार्य बाहर मत निकलो, लो विश्राम ! पानी कैरी खूब पना लो, खाओ आम!! ऋतु बैसाख... Poetry Writing Challenge 158 Share Ranjana Mathur 28 Sep 2021 · 2 min read "नदियाँ हमारी पोषक" नदियों के अभाव में पृथ्वी पर जीवन अकल्पनीय है। नदियां है तो जीवन है। नदियां हमारा वर्तमान भी हैं और वे हमारा भविष्य भी है। नदियों के प्रदूषित होने से... Hindi · लेख 923 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 1 min read "रघुवर हैं भारत के पर्याय". भारत भूमि है सदा राममय रघुवर भारत का पर्याय। ब्रह्मांड के सृजक राम ही आद्योपांत जन-जन में समाय।। असंतोष में संतुष्टि हैं राम सर्वज्ञ भी हैं समष्टि हैं राम। कोटि-कोटि... Hindi · कविता 1 384 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 1 min read "गणेश वन्दना " देवों के देव शिवसुत हे प्रभु हे सिद्धि विनायक गणेशा सर्वप्रथम जो पूजे तुझको सर्वसुख पाए वह हमेशा। हे विघ्नहर्ता हे सुखकर्ता मोदकप्रेमी तेरी जय हो तव भक्त जो आवे... Hindi · कविता 1 2 396 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 1 min read हम नारियाँ आओ आज कुछ कर जाएं नीलाभ व्योम पर बिखर जाए उलीच डालें हम आज पयोधि नदियों का प्रवाह बदल डालें मुरझाएं पुष्पों को दे सुरभि वेग मारुति का हम थामें... Hindi · कविता 2 2 419 Share Ranjana Mathur 14 Sep 2021 · 4 min read नारी हृदय के पारखी" -शरतचंद्र चट्टोपाध्याय । आलेख शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय को कौन नहीं जानता ? आप बांग्ला भाषा के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थे। आपका जन्म प. बंगाल के हुगली जिले के देवानंदपुर गांव में 15 सितंबर 1876 में... Hindi · लेख 1 1 1k Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read जीवनदायिनी अक्टूबर का महीना.. सोमवार की व्यस्ततम दोपहर............ रविवार का दूसरा दिन यानि सारी दुनिया अपने-अपने कार्य क्षेत्र के मकड़जाल में उलझी हुई......... मौसम में हल्की सर्द आहट... सैर सपाटे के... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 460 Share Ranjana Mathur 23 Jul 2021 · 2 min read ज्वारभाटा सुमि बेजान-सी चहलकदमी कर रही है। नींद तो मानों उसकी आँखों से कोसों दूर थी आज........ और आती भी कैसे...... अल सुबह निर्णय जो हो जाना था। सुयश बीच-बीच में... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 367 Share Ranjana Mathur 18 Jul 2021 · 2 min read तीन बार कहानी "तीन बार" "तू चाहे तो मेरे घर एक हफ्ते तक न आ, लेकिन तू आराम कर। " "सुन ले तारा।" "समझी कि नहीं।" "जी भाभी! समझी। कर लूंगी आराम.."... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 1 464 Share Ranjana Mathur 18 Jul 2021 · 2 min read शीर्षक - जेब की मरम्मत "पापा आ गए" पिंकी ने दौड़ कर दरवाज़ा खोला। विजय जी चुपचाप अन्दर आए और टिफिन व बैग पास ही खड़े बेटे टिंकू को पकड़ाया। खुद ढीले हो कर पलंग... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 2 309 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 4 min read पृथ्वी दिवस धरती माता तू भली तासूं भलो न कोय। जीव जन्तु की रक्षा करो रखूँ पगतली तोय।। हम अपने बाल्यकाल से ही प्रातः जागने पर वैसे तो 21 मार्च को मनाए... Hindi · लेख 1 425 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 2 min read एक पत्र- "बेनाम रिश्ते के नाम" जब से होश संभाला तभी से तुझसे ठीक से पहचान हुई और समझ में आने लगा कि तेरा आशीष तो मुझ पर जन्म जन्मांतर से ही है। मेरे कंठ में,... Hindi · लेख 1 1 401 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 8 min read मेरी प्रेरणा - सुषमा स्वराज " आलेख " "नरगिस थी तू वतन की खियाबां की बहार थी। नूरे चमन थी सुषमा तू तो सबकी दिलदार थी।" अद्भुत अप्रतिम व्यक्तित्व की स्वामिनी थी सुषमा स्वराज। आद्योपांत भारत... Hindi · लेख 320 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 4 min read आगमन के पूर्व ही यह कैसी विदाई?? उसके पदार्पण से घर में रोशनी का प्रवेश होता है। उसकी उपस्थिति घर-आंगन की शोभा बढ़ाती है। उसका वजूद घर में चार चांद लगाता है। उसके हाथों के मीठे सृजन... Hindi · लेख 338 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 2 min read आशीष S ?मेरे घर आई एक नन्ही परी? प्रत्येक घर में कोई न की ऐसा खुशनुमा व्यक्तित्व अवश्य होता है जिसके उद्गम की हल्की- सी आहट ही सम्पूर्ण आलय को असीम... Hindi · लेख 342 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 4 min read विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आलेख "धुंध से बाहर निकलो यारों " कहते हैं कि…… "पहले-पहल ये लगता प्यारा, फिर जिव्हा के मुंह लग जाता। केवल तुम न तुम्हारे संग-संग, परिवार का विनाश लाता।।" इस धुएं की महक में न भटको मित्रों।... Hindi · लेख 490 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 5 min read ==वैधव्य नहीं अभिशाप== ==उनका जीवन हो खुशहाल== “मेरे बेरंग सूने संसार का रंगों से क्या वास्ता”?? यह कोई फिल्मी संवाद नहीं बल्कि एक घिसा पिटा वाक्य है जो या तो हमारे देश की हर उस अभागिन जिसका... Hindi · लेख 1 276 Share Ranjana Mathur 26 Jun 2021 · 2 min read परिवार समाज की एक अपरिहार्य इकाई भारत एक विपुल व सुसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत का स्वामी एक उच्चतम सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित देश है। "वसुधैव कुटुंबकम "की महान् अवधारणा के मूल में भारत के विज्ञ एवं प्रबुद्ध... Hindi · लेख 580 Share Ranjana Mathur 22 Jun 2021 · 1 min read समय समय समय से न टक्कर लेना समय बड़ा ही शक्तिमान। संग चलने में ही सार है समय है प्रबल गतिमान। सूर्य चन्द्रमा सारी प्रकृति समय चक्र की दासता से मुक्त... Hindi · कविता 2 1 551 Share Ranjana Mathur 22 Jun 2021 · 1 min read बचपन की बारिश सावन का महीना, न धूप न पसीना। आ गई तू बरखा प्यारी, रिमझिम रिमझिम तेरी फुहारी। तेरे आने पर हर बार, जाग उठती हैं यादें सारी। वो नन्हे से दोस्त... Hindi · कविता 2 339 Share Ranjana Mathur 22 Jun 2021 · 2 min read परिवार- एक अपरिहार्य इकाई आलेख परिवार- एक अपरिहार्य इकाई भारत एक विपुल व सुसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत का स्वामी एक उच्चतम सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित देश है। "वसुधैव कुटुंबकम "की महान् अवधारणा के मूल में... Hindi · लेख 1 283 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read अब तो जागो कविता शीर्षक - "अब तो जागो" उमड़ घुमड़ घिर आते बादल फिर धुंआधार बरसाते बादल अन्तहीन करते जलवृष्टि हाहाकार मचाते बादल हुआ है चहुंदिश जलप्लावन बाढ़ से ग्रसित हुआ जन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 1 417 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read तुम आए हो शीर्षक - " तुम आए हो?" उमड़- घुमड़ श्यामल मेघावरि दमक रही तड़ तड़ित दामिनी शोर हुआ घनघोर घटा का झर - झर बुंदियाँ बरसाए हो सुना है कि तुम... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 1 289 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read आया सावन कविता शीर्षक - आया सावन पर्ण-पर्ण हरीतिमा खिली है मौसम क्या मनभावन है छाया। शु हर हृदय की कली खिली है सौंधी माटी ने है मन भरमाया। झनन झनन झन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 2 361 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read तब मानूँ मैं ?????????? साहित्य पीडिया काव्य प्रतियोगिता - विषय - " बरसात " ?????????? कविता शीर्षक - "तब मानूँ मैं" प्राणी के तन की ही नहीं उठती मन की भी उमस क्लांत... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 2 327 Share Ranjana Mathur 15 Jun 2021 · 1 min read तू नीर बहा दे ?????????? साहित्य पीडिया काव्य प्रतियोगिता - विषय - " बरसात " ?????????? कविता शीर्षक - "तू नीर बहा दे" प्रावृट् की आ गयी है बेला मेघवृत्त हुआ है अम्बर उड़त-... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 2 308 Share Ranjana Mathur 4 Jun 2021 · 1 min read गीता छंद गीता छंद डाली नभ रक्तिम चूनर,धरणी सजी वधु वेश। मंद मंद मारुत प्रवाह,रश्मिरथी का प्रवेश।। खगवृंद का सुखद विचरण,गौ धन चरण शुचि धूल। भिनसारे निरखी बेला,हृदय जाता दुख भूल।। माँ... Hindi · कविता 722 Share Ranjana Mathur 4 Jun 2021 · 1 min read कहीं मौका न निकल जाए ?????????? पत्नी ने कहा जी सुनते हो बेटी की उम्र बढ़ रही है। लेकिन यह महामारी है कि रोज नये बहाने गढ़ रही है। लड़के वालों का आया फोन लड़के... Hindi · कविता 1 330 Share Ranjana Mathur 4 Jun 2021 · 2 min read मेरी पहली हास्य कविता मेरी पहली हास्य कविता बहना का आदेश हुआ कल, हास्य की कविता पढ़नी ही है। मन में सोचा आए न आए, चुरा चुरु के गढ़नी ही है।। उठा डायरी पकड़... Hindi · कविता 1 651 Share Ranjana Mathur 4 Jun 2021 · 4 min read "धुंध से बाहर निकलो यारों " विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लेख ?जय माँ शारदे? आलेख "धुंध से बाहर निकलो यारों " कहते हैं कि…… "पहले-पहल ये लगता प्यारा, फिर जिव्हा के मुंह लग जाता। केवल... Hindi · लेख 270 Share Ranjana Mathur 22 Mar 2021 · 1 min read ग़ज़ल मेरी नई ग़ज़ल आपकी नज़्र……. हुआ एक अरसा कहा कुछ नहीं है। सबब बोलने का रहा कुछ नहीं है।। जो भर आँख आईं तकब्बुर में बोले महज़ है ये पानी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 265 Share Ranjana Mathur 10 Mar 2021 · 1 min read क्यों हताश रे मानव जीवन रथ के दो हैं चक्र और एक दूजे के हैं पूरक, तुम प्रज्वलित जीवनदीप मैं बाती जिजीविषा सूचक। सृष्टि के दो अंग अभिन्न तुम पुरुष और मैं नारी हूँ,... Hindi · कविता 575 Share Ranjana Mathur 10 Mar 2021 · 1 min read ताटंक छंद यह एक चार चरणों का मात्रिक छंद है ।प्रत्येक चरण में कुल 30 मात्राएँ होती हैं जिसमें 16-14 मात्रा भार के क्रम से यति निश्चित होती है । ताटंक छंद…... Hindi · कविता 1 339 Share Ranjana Mathur 10 Mar 2021 · 1 min read त्रिलोकी छंद उगते रवि को नमन,नियम संसार का। स्वार्थी है यह जगत,मोल क्या प्यार का।। (2) बोलो मीठे बैन,बने बिगड़े काज। बात प्रेम से बने, बोल मनुहार का।। (3) बैरी अपना बने,... Hindi · कविता 384 Share Ranjana Mathur 10 Mar 2021 · 1 min read बुढ़ापा ?बुढ़ापा ? बुढ़ापा न है कोई बीमारी फिर क्यूँ इससे घबराती दुनिया फिर क्यूँ इससे हारी सृष्टि के संचालन का यह है अंतिम पड़ाव यह माना कि इसमें गति नहीं... Hindi · कविता 427 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 1 min read पंचचामर छंद पंचचामर छंद ✔️ शिल्प~ [रगण जगण रगण जगण रगण](गुरुलघु ×7 "सरस्वती वंदना" नमो सरस्वती करूं प्रणम्य मातु भारती। करूँ उपासना चढ़ा प्रसून शुभ्र आरती।। कृपानिधान वत्सला प्रसीद ज्ञान दायिनी। अज्ञानमर्दिनी... Hindi · कविता 2 632 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 2 min read एक बार फिर "एक बार फिर" वाह रे मानव किया कार्य बहुत महान तेरी कुत्सित ज़िद से एक बार पुनः तपोवन बना श्मशान बरपा है कुदरत का कहर उत्तराखंड में फिर एक बार... Hindi · कविता 2 2 383 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 1 min read कुकुभ छंद कुकुभ छंद - 30 मात्राएं,16-14 पर यति , चरणांत 2 गुरु । बिखरी है क्षितिज में लालिमा, रवि मरीचि अम्बर छाई। उठ कर सुमिरन कर ले प्रभु का,भोर सुहानी है... Hindi · कविता 1 273 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 1 min read माहिया छंद माहिया छंद…….. 12-10-12 घट-घट वो बसता है हम पर प्रति पल ही प्रभु प्रेम बरसता है। जग का वो स्वामी है कष्ट निवारक है प्रभु अन्तर्यामी है। जाको राखे सांई... Hindi · कविता 1 446 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 1 min read क्यूँ तू हताश रे मानव क्यूँ तू हताश रे मानव जीवन रथ के दो हैं चक्र और एक दूजे के हैं पूरक, तुम प्रज्वलित जीवनदीप मैं बाती जिजीविषा सूचक। सृष्टि के दो अंग अभिन्न तुम... Hindi · कविता 1 286 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 1 min read सरस्वती वंदना सरस्वती वंदना हे श्वेत वसनी पद्मासना माँ जय हो जय हो जय हो तिहारी। कृपाहस्त से हर लो तिमिर अब हो ज्ञानमय लेखनी हमारी।। मातु शारदा श्री चरणों में पीतपुष्प... Hindi · कविता 1 2 392 Share Ranjana Mathur 23 Feb 2021 · 1 min read बीती दास्तान बीती दास्तान सूरत ही बता रही है कि इमारत बुलंद थी इक बीती दास्तान मेरे दिल में ही बंद थी। इस झील के किनारे कभी रौनक की थी दुनिया किस्से... Hindi · कविता 1 503 Share Ranjana Mathur 29 Oct 2020 · 2 min read अनकहे रिश्ते वह मुस्कुराई और धीरे-धीरे चल कर मेरी ओर आने लगी। न जाने क्यूँ मुझे भी बड़ी बेकरारी से उसका इंतज़ार रहता था। मेरी मुस्कान देख वह खिलखिलाकर हँस पड़ी और... Hindi · लघु कथा 1 1 304 Share Ranjana Mathur 29 Oct 2020 · 3 min read काश काश ! "अरे ! कांता तुम आ गईं ?" अमर एकाएक घर आई कांता की डबडबाई आँखें देख मन ही मन घबरा उठे। फिर भी अनभिज्ञ से बनकर बोले। "गुड़िया... Hindi · लघु कथा 504 Share Ranjana Mathur 7 Oct 2020 · 1 min read पापा होते अद्भुत "पापा होते हैं अद्भुत " माँ का वात्सल्य टपकता है टप-टप परन्तु पिता का प्यार अदृश मगर होता महसूस रहता सदा ठोस ढाल के भीतर किन्तु नहीं माता से कम... Hindi · कविता 1 1 349 Share Page 1 Next