Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2021 · 4 min read

आगमन के पूर्व ही यह कैसी विदाई??

उसके पदार्पण से घर में रोशनी का प्रवेश होता है। उसकी उपस्थिति घर-आंगन की शोभा बढ़ाती है। उसका वजूद घर में चार चांद लगाता है। उसके हाथों के मीठे सृजन घर के प्रत्येक सदस्य का स्वाद द्विगुणित करते हैं एवं जो सम्पूर्ण परिवार की हृदय स्थली है क्या आप पहचाने कि उस सुवासित अद्वितीय शख्सियत का नाम क्या है? उसका नाम है “बिटिया रानी”। जीवन की अनुपम मधुर सुवास उसी घर में चहुंओर प्रवाहित होती है
जहाँ “बिटिया”नाम की अप्रतिम विभूति अवतरित होती है। धन्य हैं वे माता-पिता जिनके अंगना “कन्या रत्न” के शुभ चरण कमल पड़ते हैं। सौभाग्यशाली हैं वे अभिभावक, जिन्हें बिटिया को “गोद में खिलाने से लेकर डोली में बैठाने” तक का पुण्यार्जन का शुभ आशीर्वाद ईश्वर की असीम अनुकंपा से प्राप्त होता है। हमारे महान भारतवर्ष की पावनतम प्राचीन सनातन संस्कृति में जो भी पुरातन पौराणिक ग्रंथ उपलब्ध हैं, सभी में इस बात का विशेष उल्लेख मिलता है कि कन्यादान के बिना किसी भी मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति असंभव है।

दैनंदिनी अनुभवों तथा विभिन्न अध्ययनों से यह बात स्पष्टतः सामने आई है कि पुत्र की अपेक्षा पुत्री अपने माता-पिता के प्रति अधिक स्नेहिल, ममतामयी एवं उत्तरदायी होती है। उसमें अपने अभिभावकों के प्रति अपनत्व व दयाभाव अपेक्षाकृत अधिक होता है और उनके प्रति सहानुभूति व झुकाव अधिक होता है। इसी कारण कहा जाता है कि बेटी दो कुटुम्बों के मध्य एक सेतु का कार्य करती है। वह दो घरों को जोड़ कर एक कर देती है जबकि प्रायः बेटे, विशेषकर आज की पीढ़ी के, एक घर भी तोड़ कर नष्ट-भ्रष्ट करके “घर”को “घर”कहने लायक नहीं छोड़ते। यही वर्तमान की सच्ची वास्तविकता है और घर-घर की कहानी भी।
यहाँ मैं क्षमा चाहूँगी उन अपवाद रूपी आदर्श सुपुत्रों से, जो आज भी पावन हृदय से अपने प्रिय माता-पिता के लिए एक वास्तविक श्रवण कुमार तुल्य हैं एवं सच्चे हृदय से अपने माता-पिता के लिए स्वयं को अपने पूरे परिवारजनों सहित समर्पित करते हैं और सदैव सेवा व सम्मान को तत्पर रहते हैं। वे ऐसा करें भी क्यों न? वृद्ध माता-पिता की सेवासुश्रुषा करना संपूर्ण परिवार का प्रथम उत्तर दायित्व होता है।

अपवाद हर स्थान पर मिलेंगे। हालांकि इस सत्य से भी मुंह नहीं फेरा जा सकता है कि इस समाज में संयुक्त परिवार के विघटन और बुजुर्गों की अवहेलना करने में कहीं न कहीं समाज की कतिपय बेटियाँ भी किसी न किसी रूप में उत्तरदायी हैं। यदि बेटियों द्वारा उक्त कृत्य किया जाता है वह सर्वथा अनुचित है।

बेटे को वंश बढ़ाने वाला, वंश को प्रसिद्धि दिलाने वाला माना जाता है जबकि वर्तमान में दृष्टिगोचर हो रहा है कि बेटियाँ धूम मचा रही हैं, नाम रोशन कर रही हैं। जहाँ एक ओर हमारा पुरातन साहित्य अपाला, घोषा, लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी जैसी प्रकांड विदुषियों की प्रशंसा करते नहीं अघाता तो वहीं 21 वीं शताब्दी का विश्व कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, किरण बेदी, सुषमा स्वराज के रूप में अद्भुत चमत्कारिक पुत्रियों की यश सुरभि से समस्त वसुधा को सुगंधित कर रहा है।

यह हमारे समाज की विडम्बना ही है कि अनेक घरों में बेटों की ओर से उत्पन्न की जा रही अनेक दुःखद परिस्थितियों को नज़र अंदाज करके आज भी भेड़ चाल में बेटे के जन्म के प्रति 90% जनता का रुझान यथावत है। कहीं भी देखिए सामान्यतः हर नव वधु को बुजुर्गों द्वारा आशीष एक पुत्रप्राप्ति के लिए ही मिलता है। इन्हीं हार्दिक इच्छाओं की अंतिम व दुःखद परिणति “कन्या भ्रूण हत्या ” के रूप में होती है जो आज संपूर्ण भारत में एक वीभत्स रूप में व्याप्त हो चुकी है।

वर्तमान समाज में बढ़ते अपराधों का कारण भी जनसंख्या अनुपात में कन्या की घटती जन्म दर ही है। पग-पग पर समाज प्रतिपल बलात्कार, यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, नारी हत्या आदि
से साक्षात्कार करने को विवश है तथापि न जाने क्यों समाज इस विषमता में दिनोंदिन वृद्धि करता जा रहा है।

यद्यपि वर्तमान सरकार “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” अभियान के तहत इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है और बेटी के जन्म पर जच्चा को प्रोत्साहन राशि, सुकन्या योजना व अन्य योजनाओं के द्वारा भ्रूण हत्या पर नियंत्रण करने में कुछ सीमा तक सफल हो रही है तथापि इस दिशा में हमारा प्रशासन पूर्णरूपेण सक्रिय तभी हो सकेगा जबक सर्वप्रथम व्यक्ति, तदुपरांत परिवार व अंततः समाज इस विषय में पूर्णतः चैतन्य बने।

यदि आप पूर्ण जागरूक हैं, समझदार हैं और मानवीय हैं तो कृपया स्वयं के परिवार के साथ-साथ अपने कुटुम्ब व सगे संबंधियों व परिचितों के परिवारों में किसी भी स्थिति में “भ्रूणहत्या” जैसी अमानवीय दुर्घटना को घटित न होने दें, कदापि इसकी पुनरावृत्ति न होने दें। ऐसा संकल्प लेना होगा, बिटिया नाम की इस प्यारी-सी खुशबू का सौरभ्य सम्पूर्ण वातावरण में विस्तीर्ण करने के लिए।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान)
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
333 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
gurudeenverma198
It is not necessary to be beautiful for beauty,
It is not necessary to be beautiful for beauty,
Sakshi Tripathi
जो गिर गिर कर उठ जाते है, जो मुश्किल से न घबराते है,
जो गिर गिर कर उठ जाते है, जो मुश्किल से न घबराते है,
अनूप अम्बर
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
Neelam Sharma
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
Keshav kishor Kumar
सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।
सपन सुनहरे आँज कर, दे नयनों को चैन ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
माँ का प्यार है अनमोल
माँ का प्यार है अनमोल
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
जीत जुनून से तय होती है।
जीत जुनून से तय होती है।
Rj Anand Prajapati
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
स्त्रियों में ईश्वर, स्त्रियों का ताड़न
Dr MusafiR BaithA
जरासन्ध के पुत्रों ने
जरासन्ध के पुत्रों ने
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
टूटी हुई उम्मीद की सदाकत बोल देती है.....
कवि दीपक बवेजा
विचार मंच भाग -8
विचार मंच भाग -8
डॉ० रोहित कौशिक
2467.पूर्णिका
2467.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नव वर्ष हैप्पी वाला
नव वर्ष हैप्पी वाला
Satish Srijan
Impossible means :-- I'm possible
Impossible means :-- I'm possible
Naresh Kumar Jangir
संवेदनशील होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का महान गुण है।
संवेदनशील होना किसी भी व्यक्ति के जीवन का महान गुण है।
Mohan Pandey
संगीत........... जीवन हैं
संगीत........... जीवन हैं
Neeraj Agarwal
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
काश ये मदर्स डे रोज आए ..
ओनिका सेतिया 'अनु '
■ आज का दोह
■ आज का दोह
*Author प्रणय प्रभात*
* हो जाओ तैयार *
* हो जाओ तैयार *
surenderpal vaidya
" रीत "
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-368💐
💐प्रेम कौतुक-368💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मंजिलें
मंजिलें
Santosh Shrivastava
-मंहगे हुए टमाटर जी
-मंहगे हुए टमाटर जी
Seema gupta,Alwar
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
☄️💤 यादें 💤☄️
☄️💤 यादें 💤☄️
Dr Manju Saini
करवाचौथ
करवाचौथ
Surinder blackpen
Loading...