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15 Jun 2023 · 1 min read

“भुजंगप्रयात छंद”

न कोई पराया सभी हो करीबी
सभी ही सुखी हों मिटाएं गरीबी।
सभी को सहारा यही लक्ष्य सारा निखारें सजाएं बढ़े देश प्यारा।

हमें हारना है नहीं दुश्मनों से
सदा संत ऊँचे रहे दुर्जनों से।
कहीं भी नहीं हो बसेरा दुखों का विधाता करेंगे सवेरा सुखों का।

सिपाही हमारी सुरक्षा बने हैं
बने ढाल से शत्रु आगे तने हैं।
हमारे लिए प्राण देने अड़ेंगे
कि आभार देने हमें भी पड़ेंगे।

करें आज जैकार यूँ बांकुरों की
उठे गूँज चारों दिशा में सुरों की।
खुली सी बयारें खुशी है घनेरी
चहुंओर आनंददायी चितेरी।

रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
286 Views
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