Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2021 · 4 min read

“धुंध से बाहर निकलो यारों “

विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लेख ?जय माँ शारदे?

आलेख

“धुंध से बाहर निकलो यारों ”

कहते हैं कि……
“पहले-पहल ये लगता प्यारा, फिर जिव्हा के मुंह लग जाता।
केवल तुम न तुम्हारे संग-संग, परिवार का विनाश लाता।।”

इस धुएं की महक में न भटको मित्रों।
कहीं ऐसा हो इक दिन ये धुंआ रूप बदल कर आप की चिता का धुंआ बन जाए।

धूम्रपान!!
जी हाँ!!
तंबाकू और धूम्रपान आज समाज की सबसे ज्वलन्त समस्या बन गयी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार समूचे संसार के 125 देशों में तंबाकू का उत्पादन होता है और सम्पूर्ण विश्व में लगभग 5.5 खरब सिगरेट का उत्पादन और 1खरब से अधिक व्यक्तियों द्वारा प्रतिवर्ष धूम्रपान किया जाता है। ये आंकड़े अपने आप में काफ़ी चिन्ताजनक स्थिति को दर्शाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि समस्त संसार के 80%पुरुष और कतिपय स्थानों पर महिलाएं भी सिगरेट आदि पीती हैं।

वर्तमान समय में समाज की महिलाओं क इसके प्रति रुझान बढ़ा है। महिलाओं में यह अधिक विनाशकारी सिद्ध हो रहा है।
उदाहरणार्थ – यदि गर्भवती महिला धूम्रपान करती है तो गर्भस्थ शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है जिससे उसका शारीरिक विकास रुक सकताहै और वह भविष्य में किसी घातक रोग व संक्रमण का शिकार हो सकता है। इसका ही बालक की दुग्ध पान कराने वाली माताएं भी यदि धूम्रपान करती हैं तो अपने दूध के माध्यम से वे अपने बालक को रोगों को भी स्थान्तरित कर रही होती हैं।

तंबाकू तथा धूम्रपान के दुष्परिणामों को दृष्टिगत रखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रतिवर्ष 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।तभी से 31 मई को प्रतिवर्ष “विश्व धूम्रपान निषेध दिवस” के रूप में मनाया जाता है।

किसी भी प्रकार का धूम्रपान 90 प्रतिशत से अधिक फेफड़े के कैंसर, ब्रेन हेमरेज और पक्षाघात का प्रमुख कारण है। धूम्रपान के धूएं में मौजूद निकोटीन, कार्बन मोनो आक्साइड जैसे पदार्थ हृदय, ग्रंथियों और धमनियों से संबंधित असाध्य रोगों के कारण हैं। ऐसा नहीं है कि एक बार यह दुर्व्यसन मुंह लग गया तो आजीवन यह लत नहीं छूटेगी। मनुष्य एक विचारशील प्राणी है और उसमें प्रबल इच्छाशक्ति पाई जाती है। वह चाहे तो सब कुछ हो सकता है। जिस प्रकार धूम्रपान की लत प्रारंभ करनी की कोई निश्चित उम्र निर्धारित नहीं है उसी प्रकार धूम्रपान की बुरी आदत से छुटकारा किसी भी उम्र में पाया जा सकता है। यह मेरा स्वयं का देखा हुआ अनुभव है।
मेरे पिताजी ने 16-17 वर्ष की अल्पायु में ही मित्रों की संगत में सिगरेट पीना प्रारंभ कर दिया था जो दादा-दादी से चोरी छिपे चलता रहा और शनैः-शनैः एक बुरी लत के रूप में परिवर्तित हो गया। विवाहोपरांत यहाँ तक कि हम सभी भाई बहनों के जन्म, परवरिश, शादी ब्याह निपटाने के बाद जब पापा की उम्र 68 वर्ष की उम्र थी तब उन्हें किसी गंभीर शारीरिक व्याधि ने आ घेरा। पापा उस समय तक चेनस्मोकर थे। डॉक्टरों ने जब उन्हें बताया कि इस रोग से छुटकारा पाने के लिए आपको हमेशा के लिये धूम्रपान छोड़ना होगा स्थायी रूप से। यह नहीं कि बीमारी ठीक होते ही आप पुनः शुरू कर दें। पापा उनकी बात मान गए और उसदिन के बाद सिगरेट को छुआ तक नहीं। इसके बाद वे पूर्ण स्वस्थ हुए और 83 वर्ष की आयु तक हमारे साकार संरक्षक बने रहे। वे आज सशरीर न सही अदृश संरक्षक हैं और हमारे लिए एक महान् जीवट प्रेरणा भी।

हमारे देश की आर्थिक मामलों की संसदीय समिति द्वारा राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम को स्वीकृति मिल चुकी है। इसके माध्यम से तंबाकू नियंत्रण कानून का ठोस क्रियान्वयन किया जा सकेगा। विश्व भर में विभिन्न अध्ययनों से ज्ञात होता है कि प्रत्येक देश की सुदृढ़ता का आधार वहाँ की युवाशक्ति आज धूम्रपान की सर्वाधिक चपेट में है। यदि राष्ट्र युवा शक्ति विहीन हो जाये तो उस राष्ट्र पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं। धूम्रपान की भयावहता से कोई भी राष्ट्र विकास के रास्ते से पिछड़ सकता है।

विगत कुछ वर्षों के शोधकर्ताओं के अनुसार भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में धूम्रपान के प्रति आकर्षण बढ़ा है। कई समाजसेवी संस्थाएं आगे आई हैं। यह एक अच्छा संकेत है।
धूम्रपान एक दुर्व्यसन है। हम सभी का परम कर्तव्य है, कि इस दुर्व्यसन से ग्रसित व्यक्तियों को प्यार व अपनत्व से धूम्रपान के खतरों के प्रति उन्हें सचेत करें, और धूम्रपान न करने के लिए प्रेरित करें। तभी हम धूम्रपान नामक महाराक्षस के शिकंजे से निकाल कर एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
तो आइए…
न हम तंबाकू व धूम्रपान का सेवन करें न किसी को करने की सलाह दें।
परिवार में बच्चों के लिए इस ओर विशेष जागरूक रहें।
स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से जन जागृति लाएं।
नुक्कड़ नाटकों लेखों कहानियों कविताओं के माध्यम से जन जन में इस विषय में बताएं।

यहाँ प्रस्तुत आंकड़े गूगल से साभार संकलित करके हम अपनी बात कह रहे हैं।

“धूम्रपान करना है सदा ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक।
समझो यह तुम्हारा विनाश और तन के लिए है घातक।।
समय रहते तुम संभलो तुम से जुड़ा एक पूरा परिवार।
प्रभु कृपा से मानव तन पाया करो लाख उसका आभार।।”

अंततः सभी नागरिकों से करबद्ध अनुरोध है कि तंबाकू व धूम्रपान रूपी विषैले दैत्य से स्वयं बचें, औरों को बचाएं व अपने देश की मजबूती में सहायक सिद्ध हों यही शुभकामनाएँ हैं।

( समाप्त)

रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
Tag: लेख
267 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
"मुखौटे"
इंदु वर्मा
*आदत*
*आदत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
आचार्य शुक्ल की कविता सम्बन्धी मान्यताएं
कवि रमेशराज
मन मूरख बहुत सतावै
मन मूरख बहुत सतावै
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द, अपने हिंदुस्तान में
जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द, अपने हिंदुस्तान में
gurudeenverma198
उफ्फ्फ
उफ्फ्फ
Atul "Krishn"
तेरी याद
तेरी याद
Shyam Sundar Subramanian
अपनी-अपनी दिवाली
अपनी-अपनी दिवाली
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विश्वामित्र-मेनका
विश्वामित्र-मेनका
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
अश्क तन्हाई उदासी रह गई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
AJAY AMITABH SUMAN
"बह रही धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
अज्ञेय अज्ञेय क्यों है - शिवकुमार बिलगरामी
अज्ञेय अज्ञेय क्यों है - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Mai apni wasiyat tere nam kar baithi
Sakshi Tripathi
मानव  इनको हम कहें,
मानव इनको हम कहें,
sushil sarna
23/207. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/207. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#उपमा
#उपमा
*Author प्रणय प्रभात*
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
ज़िंदगी से शिकायत
ज़िंदगी से शिकायत
Dr fauzia Naseem shad
मेरी प्यारी हिंदी
मेरी प्यारी हिंदी
रेखा कापसे
*दिल में  बसाई तस्वीर है*
*दिल में बसाई तस्वीर है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बात हमको है बतानी तो ध्यान हो !
बात हमको है बतानी तो ध्यान हो !
DrLakshman Jha Parimal
टूटे बहुत है हम
टूटे बहुत है हम
The_dk_poetry
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
Anand Kumar
मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी
ओनिका सेतिया 'अनु '
मेरी तू  रूह  में  बसती  है
मेरी तू रूह में बसती है
डॉ. दीपक मेवाती
प्यार करने के लिए हो एक छोटी जिंदगी।
प्यार करने के लिए हो एक छोटी जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...