सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2758 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 50 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Jan 2020 · 1 min read तुम्ही हो जय नवोदय हे! नवोदय तुम्ही हो जय नवोदय सर्व समर्पित हो तुम्ही जय नवोदय भोर हो गई है, तुम्हें अब जागना है पंख लगाके दूर तक तुम्हें उड़ना है बाधा पार के... Hindi · कविता 2 506 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Jan 2020 · 1 min read फूलों सी छोटी सी हो खूश्बूदार जिन्दगी -फूलों सी छोटी सी खुशबूदार जिंदगी- -------------------------- फूलों सी छोटी सी हो खुश्बूदार जिन्दगी कांटों युक्त ना हो बदहाल बदकार जिन्दगी कुसुमों के चमन सी सदा ही महकती रहे गुलिस्तां... Hindi · कविता 1 2 267 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Jan 2020 · 1 min read कांटों भरी डगर ---कांटों भरी डगर----- ----------------- मंजिलें बहुत ही सुदूर हैं रास्ते बहुत ही कांटों भरे घनी घनघोर घटा चल रही पर होंसले तो हैं जोश भरे हर हाल ख्वाब लब्ध करने... Hindi · कविता 1 277 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Jan 2020 · 1 min read मुनासिब नहीं है होता मुनासिब नहीं है होता -------------- बुजुर्गों का अपमान चुराया हुआ सामान किया हुआ नुकसान रिश्ते में हुआ बदनाम मुनासिब नहीं है होता इन्सान जो हो बदकार बंधु - बांधव तिरस्कार... Hindi · कविता 2 259 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Jan 2020 · 1 min read उनमुक्त परिंदे -----उन्मुक्त परिंदे-------- ------------------- कितने दिखते हैं ये खुश परिंदे खुले आसमां में उन्मुक्त परिंदे लंबी-लंबी उड़ाने रहें भरते हैं जहाँ चाह उसी डगर चलते हैं मनचाही मन से कृति करते... Hindi · कविता 1 2 304 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Jan 2020 · 1 min read मयनोशी ------मयनोशी--------- ----------------- मद्यप- मय को नहीं पीता मय मद्यप ही पी जाती है धीरे -धीरे मयनोशी लत ये जिंदगी निगल जाती है बुरा होता है सुरा का नशा बिगड़ जाती... Hindi · कविता 2 457 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Jan 2020 · 1 min read नववर्ष मुबारकबाद ----नववर्ष मुबारकबाद ---- --------------------- नववर्ष मुबारक क्षण है आ गया खुशियों का खजाना ले आ गया बदल लो सोच ,करोगे तुम मौज सोये हैं अरमान, जगाने आ गया मिट गया... Hindi · कविता 460 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Dec 2019 · 1 min read दिसंबर-जनवरी नववर्ष ---दिसंबर-जनवरी और नववर्ष--- ------------------------ पति-पत्नी के रिश्ते सा होता हैं साथ दिसंबर और जनवरी मास का साथ दूर दूर हो जाते हैं ,पास पास हो कर पास पास हो जाते... Hindi · कविता 1 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Dec 2019 · 2 min read मेरे सामने वाली खुली खिडक़ी -------------- कहानी---------------------- -----मेरी सामने वाली खुली खिडक़ी----------- ---------------------------------- बारहवीं की परीक्षा उतीर्ण करने के पश्चात आगे की इंजीनियरिंग की पढाई हेतु गाँव से लगभग 350 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पुणे... Hindi · कहानी 2 375 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Dec 2019 · 1 min read सर्दी के ठंडे दिन सर्दी के ठण्डे दिन ------------ सर्दी के ठण्डे दिन जाम कर देते तन ठण्ड की ठिठुरन पैदा करे अकड़न लेने ना दे अंगड़ाई रूक जाए जम्हाई याद आती है रजाई... Hindi · कविता 604 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Dec 2019 · 1 min read नया साल -----नया साल-------- ----------------- नये साल के आगमन पर जन गण मन मस्तिष्क पर चल पाएगा कोई आलोड़न आएगा क्या कोई परिवर्तन बदल पाएगी अमूमन सोच नहीं लगे किसी पर खरोंच... Hindi · कविता 233 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Dec 2019 · 1 min read नव वर्ष पर दोहे --------नव वर्ष पर दोहे -------- ---------------------------- नया साल ले आ गया ,सुंदर यह पैगाम सभी से प्रेम कीजिए ,मत कीजे अपमान बीती बाते भूल कर,दिल को रखिए साफ करनी कथनी... Hindi · कविता 453 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Dec 2019 · 1 min read भाईचारा भाईचारे बिना नहीं है गुजारा भाईचारा है जिन्दाबाद हमारा अकेला चना भाड़ नही भोड़े भाई जितने हों,वो भी हैं थोड़े अकेले कभी चले नही मकोड़े अकेला नहीं , रहना है... Hindi · कविता 662 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Dec 2019 · 1 min read सीख ------सीख---------- ----------------- महकते फूलों से ये सीखो कंटक में कैसे महकते हैं शूल सी चुभन सहकर भी हर पल भीनी सुगंध देते हैं बहकना सीखना ना हो त़ो बोतल शराब... Hindi · कविता 2 374 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Dec 2019 · 1 min read जरूरत ---जरूरत------- ---------जरूरत------- ------------- सर्दी में अग्नि की साग में मखनी की जीवन में संगिनी की कर्म में करनी की बहुत ही जरूरत है प्यासे को नीर की पंडित को खीर... Hindi · कविता 499 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2019 · 2 min read बचपन ----------बचपन---------------- -------------------------- बचपन का वो हसीन जमाना बीत गया जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया नही थी कमाने की चिंता,नहीं थी सोच उछलते कूदते पैर मे आ जाती थी मोच... Hindi · कविता 2 233 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2019 · 1 min read जिन्दगी -------जिन्दगी--------- ------------------ जिन्दगी गिरगिट सी छलिया हर रोज नये रंग बदलती है इंसान बदलते रंगों से है दंग ये पोशाक से रंग बदलती हैं नये कल का देकर वो झांसा... Hindi · कविता 2 221 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Dec 2019 · 1 min read कोहरा सा जिंदगी में जमता जा रहा है कोहरा सा जिन्दगी में जमता जा रहा हैं --------------------------- कोहरा सा जिन्दगी में जमता जा रहा है इन्सान ही इन्सान को ठगता जा रहा है गहरी धुंध सी छाई रहती... Hindi · कविता 2 213 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Dec 2019 · 2 min read भटकती प्रेम राह --भटकती प्रेम राह--- ---------------- मन था बहुत अशांत सा दिल था थोड़ा चिंतित सा भटक रहा था निज राह से आस में था किसी पनाह से ढूँढने निकला एकांत वास... Hindi · कविता 2 242 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Dec 2019 · 1 min read नशा उन्मूलन अभियान नशा -उन्मूलन अभियान ---------------------- आओ मिलकर करें खुद से वादा नशा-उन्मूलन का करते हैं ईरादा नशे में लिप्त हैं देश का युवा वर्ग दिशा से भटका,देश का युवा वर्ग घुट... Hindi · कविता 2 289 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Dec 2019 · 1 min read छिपी हो तुम किन राहों में छिपी हो तुम किन राहों में ----------------- छिपी हो तुम किन राहों में अब आ भी जाओ बाहों में कब से बैचेन हैं मेरी आँखे छिप जाओ मेरी निगाहों में... Hindi · कविता 600 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2019 · 1 min read पति पत्नी का रूहानियत रिश्ता पति-पत्नी का रूहानियत रिश्ता सहयोग,समर्थन बिना ना निभता एक ही सिक्के के दो होते पहलू एक दूसरे बिन साथ नहीं निभता एक गाड़ी के दो पहिए सदा होते अकेले अकेले... Hindi · कविता 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2019 · 2 min read नवोदय के थे दरबार गए -नवोदय अलमुनी डे- –-------------- कई वर्षों जब बाद गए नवोदय के दरबार गए देखा जब प्रवेश द्वार आँखो में झलका प्यार दिल में हुई थी हलचल याद आने लगा हर... Hindi · कविता 2 511 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2019 · 1 min read चलो नवोदय चलो नवोदय साथियों चलो नवोदय आज अलमुनी डे,देखें वहाँ सूर्योदय नहा धो कर तुम हो जाओ तैयार मिलने को बिछुड़े साथी हैं तैयार कर रहा हमारा नवोदय इंतजार सोचो मत,बस... Hindi · कविता 1 2 398 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2019 · 1 min read क्या -जाँचने की यही है कसौटी क्या- जाँचने की यही है कसौटी ---------------------- हमारी सोच क्यों हो गई है छोटी क्या जाँजने की यहीं है कसौटी व्यक्ति से व्यक्ति तक क्यों भिन्न प्रत्येक रहे ऐसी नीतियों... Hindi · कविता 2 268 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read मिले नहीं कहींं कहाँँ यहाँ-वहाँ, कहाँ-कहाँ ढूँढा मैंने सारा जहां मिले नहीं ,कहीं कहाँ गया था मैं जहाँ जहाँ समय बहुत कम था मन में चला द्वंद्व था कह ना सका मैं वहाँ गया... Hindi · कविता 2 450 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read उन्नति-मंत्र परिश्रम कर या फिर कर हजूरी जीवन में आगे बढ़ना है जरूरी तरक्की के बदल गए तौर तरीके चमचागिरी, जी हजूरी है जरूरी अधिकारी को रखोगे सदैव खुश कार्यालय कार्य... Hindi · कविता 2 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read दिल है खुद से खफा खफा दिल है खुद से खफा खफा हर शख्स दिखा जुदा जुदा बेरहमी की हद देखो यहाँ हर कोई यहाँ सहमा सहमा जो भी आया वो चल दिया ना दिखा कोई... Hindi · कविता 2 345 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2019 · 1 min read शिक्षक का चरित्र बदल गया शिक्षक का चरित्र बदल गया शिक्षण था पवित्र बदल गया शिक्षण-कारज जो था जनूनी व्यवसायीकरण में बदल गया उसूलन-गिरफ़्त में था शिक्षक मुक्त हो बेउसूल में बदल गया शिक्षण शिक्षक... Hindi · कविता 2 382 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2019 · 1 min read हाल मेरे वतन का है बदहाल दोस्तों हाल मेरे वतन का है बदहाल दोस्तों डोर किस के हाथ में ना जाने दोस्तों एकता है वतन की विखंडित हो गई इंसानियत इन्सान की दंडित हो गई इंसान ही... Hindi · कविता 2 229 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2019 · 1 min read नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता बिल पर यह कैसा बवाल लोग क्यों दाग रहें बिन समझे सवाल बिल की समझे ना मूलभूत परिभाषा फैलाते क्यों चारों ओर हिंसक भूचाल नागरिकता कानून को करके बदनाम... Hindi · कविता 247 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2019 · 1 min read देश को बचाना है देश को बचाना है, मासूम बेटियां बचाएं खुद जाग जाएं ओर ओरों को भी जगाएं देश जल रहा हैं इंतहा ,कौमी नफरतों में चिराग शांति का जला के नफरत बुझाएं... Hindi · कविता 2 244 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2019 · 1 min read प्रेम की है सौगात मिली चुपके-चुपके,धीरे- धीरे प्रेम की है सौगात मिली प्यासे थे हम पपीहों से प्यार की बरसात मिली नयन थक गए थे हमारे नयनों को निजात मिली जीवन था, यूँ बीत रहा... Hindi · कविता 2 248 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2019 · 1 min read शीत ऋतु की धुंध सा प्यार शीत ऋतु की प्रथम धुंध की भांति होता है प्यार पता ही नहीं चलता ,कब प्यार का यह घना कोहरा दिलोदिमाग पर इस कदर एकाधिकार छा जाता है कि कुछ... Hindi · कविता 1 293 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Dec 2019 · 1 min read मत मचाओ तुम प्यार.का कहीं शोर गर हो जाए प्यार तो बन जाओ चोर मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर कहते हैं दीवारों के भी होते हैं कान प्रेम भावनाओं की ना बजाओ तान चक्रव्यूह... Hindi · कविता 2 2 487 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2019 · 1 min read मेरे सजन पराए हो गए मेरे लेखा विच वज गई मेख मेरे सजन पराए हो गए मैंनू छड,नैन होर पासे रैन वेख मेरे सजन पराए हो गए रही मुद्दता तो जिदे नाल रीझ सी दिल... Hindi · कविता 2 316 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2019 · 1 min read जब से जहां से खो गई चिट्ठियां जब से जहान से खो गई हैं चिट्ठियां तभी से प्रीत जहान से पराई हो गई खूब लिखते थे,प्यार भरे प्यारे खत पाते थे खूब प्रेमसंदेश भरे हुए खत खत-... Hindi · कविता 2 405 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2019 · 1 min read राहों में लग गए यारों के मेले घर से निकले थे हम अकेले राहों में लग गए यारों के मेले अकेले कैसे लंबी राह कटेगी काली छायी घटा कैसे घटेगी यूँ ही राह चलते बन गए चेले... Hindi · कविता 2 577 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 2 min read हिंदू धर्म सनातन धर्म विज्ञान आधारित धर्म जो वह सनातन धर्म है विश्व का प्राचीनतम धर्म यह सनातन धर्म है वैदिक धर्म यह धर्म, वेद आधारभूत स्तंभ है चारों वेदों पर है आधारित यह... Hindi · कविता 2 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 1 min read गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ बड़े शोक से पाली थी मैंने अपनी मूँछ गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ बाल्यकाल बाद आई थी रंगीन जवानी भूरी भूरी उभरी थी मेरे होठों ऊपर मूँछ हाथों... Hindi · कविता 209 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 1 min read कुर्सी देख कितना है स्वार्थी, कुर्सी का गंदा खेल बंदा बंदे से कट मरे , नहीं किसी से मेल इंसानियत का पतन हो, मानवता का लोप कुर्सी की अफरातफरी,शान्ति संतोष लोप... Hindi · कविता 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2019 · 1 min read दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना रहते याद, चाहे बीते जमाना नहीं देखती वर्ण, धर्म, स्तर यह दोस्ती का नियम पुराना राजा हो, चाहे हो कोई रंक कृष्ण-सुदामा याराना पुराना अच्छाई हो... Hindi · कविता 392 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2019 · 1 min read किशोर-रंग जैसे ही बाल्यावस्था से किशोरावस्था में किया प्रवेश आए मन-तन-बदन में परिवर्तन अंग-प्रत्यंग हुए परिपक्व सोच-विचारों में भी बदलाव पैदा होने लग गया अचानक विपरीत लिंग प्रति आकर्षण अच्छा लगने... Hindi · कविता 2 250 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2019 · 1 min read तेरी याद अक्सर आती है आप तो आते कभी नहीं तेरी याद अक्सर आती है गम-ए -जुदाई उपहार दी तन्हा मैं,नींद नहीं आती है जब याद तेरी बैचेन बनाएं मेरी जान ही चली जाती है... Hindi · कविता 2 327 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Dec 2019 · 1 min read सर्दी के दोहे सर्दी का मौसम आया, ठंड बहुत है छाई स्वेटर जर्सी अब पहनो ,ढूँढों गर्म रजाई मूँगफली संग रेवड़ी , खाओ खूब खजूर सर्दी नजर ना आएगी, मानो बात हुजूर सोहबत-ए-मयख्वारी... Hindi · कविता 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2019 · 1 min read प्याज पर दोहे प्याज पर दोहे प्याज ब्याज पर हैं मिलें,हुआ विकास महान प्याज रत्न अनमोल है, भाव छुए आसमान सेब हुए हैं प्याज समान,प्याज समान हैं सेब प्याज पहुँच बाहर हुए ,खाली... Hindi · कविता 1 726 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Dec 2019 · 2 min read गीता ज्ञान और आज श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया गीता-महाज्ञान का था उपदेश दिया जब अर्जुन ने हथियार थे डाल दिए सब अपने थे जो खड़े हथियार लिए भाई-बंधु,सगे-संबंधी थै, रिश्ते-नाती आपस में... Hindi · कविता 520 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2019 · 1 min read पुस्तकें सच्ची मित्र किताबें होती इंसान की सच्ची मित्र बनाती हैं ये इंसान का अच्छा चरित्र हो रहा हो इंसान जब कहीं पर बौर ना हो कोई साथी ,ना हो कोई होर जब... Hindi · कविता 457 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2019 · 1 min read रिश्ते-नाते लगते यूँ ऐसे रिश्ते- नाते लगते यूँ ऐसे पुराने हों बही -खाते जैसे हिसाब कभी मिलता नहीं जवाब कभी मिलता नहीं किश्तों में ये निभते रिश्ते पहले जैसे रहे नहीं रिश्ते पेड़ खजूर... Hindi · कविता 315 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Dec 2019 · 1 min read नारी सशक्तिकरण मान सम्मान् मिली मन को शांति दिल को मिला सुकून अंगारों सी जो भभका थी अनियंत्रित अपार क्रोध ज्वाला हो गई थी आँखें लहू सी लाल सुन कर के खबर फूल सी... Hindi · कविता 275 Share Previous Page 50 Next